- बच्चे की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर ने हायर सेंटर किया था रेफर

- वार्ड इंचार्ज लगाती रहीं फोन, नहीं मिला संतोषजनक जबाव

बरेली : जिले के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा ने थर्सडे को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का निरीक्षण किया था, तो कई व्यवस्थाओं में खामी मिली थीं, लेकिन अगर वह यह औचक निरीक्षण दोपहर बाद करते तो यहां मरीजों को मिल रही सुविधाएं देख अचंभित हो जाते। जी हां डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड में एक मासूम गंभीर हालत में एडमिट था। डॉक्टर ने उसे हायर सेंटर रेफर किया। बच्चे को हायर सेंटर ले जाने के लिए एंबुलेंस ही नहीं मिली। दस बार कॉल की गई तब करीब तीन घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची, जिसके बाद परिजन बच्चे को हायर सेंटर ले गए।

क्या है मामला

मीरगंज के गांव मदनापुर निवासी छत्रपाल के 11 माह बेटे करन को कुछ दिनों पहले हल्का बुखार आया। छत्रपाल ने मीरगंज के ही एक झोलाछाप से इलाज कराया। झोलाछाप ने मासूम को तीन इंजेक्शन लगा दिए। छत्रपाल जैसे ही अर्जुन को लेकर घर पहुंचा कि अर्जुन के शरीर पर एलर्जी होने लगी और एक ही दिन में एलर्जी पूरे शरीर में फैल गई। वेडनसडे को अर्जुन की हालत और बिगड़ गई, उसके शरीर पर बड़े-बड़े फफोले पड़ गए। हालत गंभीर होने पर वेडनसडे रात करीब 1 बजे परिजन उसे लेकर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टर ने जांच कराई तो पता चला कि उसे ड्रग एलर्जी हुई है। हालत गंभीर देख थर्सडे को डॉक्टर ने उसे हायर सेंटर लखनऊ के लिए रेफर कर दिया। बच्चा वार्ड की इंचार्ज डेजी लाल ने 108 एंबुलेंस को बुलाने के लिए पांच बार कॉल की लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। बाद में जब कॉल रिसीव हुई तो एंबुलेंस फौरन आने की बात कही गई। लेकिन जब एक घंटा बीतने पर भी एंबुलेंस नही आई तो इंचार्ज ने फिर कॉल की तो थोड़ी देर में एंबुलेंस पहुंचने की बात कही गई। 10 कॉल करने के बाद करीब 3 बजे एंबुलेंस पहुंची जिसके बाद बच्चे को हायर सेंटर ले जाया गया।

क्या कहना है वार्ड इंचार्ज का

बच्चे के पिता के पास मोबाइल नहीं था उसके कहने पर मैंने अपने मोबाइल से 11 बजे 108 एंबुलेंस को कॉल किया पहले तो कॉल रिसीव नहीं की फिर आने की बात कही लेकिन 2:50 पर एंबुलेंस आई। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है।

डेजी लाल, इंचार्ज बच्चा वार्ड।

वर्जन

मामला गंभीर है, मामले की जांच कराकर संबंधित अधिकारी से जबाव तलब कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। टीएस आर्या, एडीएसआईसी।