आगरा. हर बच्चा शिक्षित हो, इसी उद्देश्य के लिए सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की गई थी. केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा समय-समय पर इस अभियान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं लेकिन ताजनगरी में कुछ बच्चे शिक्षा को तरस रहे हैं. ये बच्चे और कोई नहीं बल्कि शिशु सदन में रहने वाले बच्चे हैं, जिन्हें मात्र सिर्फ इस वजह से सरकारी स्कूल में एडमीशन नहीं मिल रहा है क्योंकि वहां स्टाफ नहीं है. हम बात कर रहे हैं शाहगंज स्थित राजकीय बाल गृह शिशु सदन की, जहां करीब नौ ऐसे बच्चे हैं जो स्कूल जाना चाहते हैं. पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहते हैं, लेकिन उन्हें एडमीशन नहीं मिल पा रहा है.

नौ बच्चे जाना चाहते है स्कूल

शाहगंज स्थित विष्णु कॉलोनी में महिला कल्याण विभाग द्वारा बाल शिशु गृह संचालित है. इसमें नवजात शिशु से लेकर दस वर्ष तक के बच्चे रहते हैं. यहां रहने वाले बच्चे वो होते हैं जिनके माता-पिता नहीं हैं या उनका कुछ पता नहीं है. इनमें नौ ऐसे बच्चे हैं, जिनकी आयु छह वर्ष से अधिक है. जो स्कूल जा सकते हैं एवं जाना भी चाहते हैं, लेकिन उनको सरकारी स्कूल ही बाहर का रास्ता दिखा रहे है, जबकि उसी स्कूल में बाल गृह के पांच बच्चे पहले से पढ़ रहे हैं.

शिक्षा के अधिकार अधिनियम का हो रहा हनन

भारत का हर बच्चा पढ़ा लिखा हो. इसके लिए सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत कानून बनाया था. इसके तहत 6 से 14 वर्ष तक के आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा लेने का अधिकार है. सरकारी स्कूलों में भी सख्त आदेश हैं कि वह आसपास के क्षेत्रों में जाकर लोगों को पढ़ाई के प्रति जागरूक कराएं, ताकि शहर और देश में शिक्षा का स्तर बढ़ सके. लेकिन यहां पर सारे नियमों और योजनाओं को ताक पर रखकर बच्चों को बाहर का रास्ता दिखाकर पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है.

एक महीने की शिकायत का नहीं आया जवाब

बाल गृह में रह रहे बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए महफूज सुरक्षित बचपन संस्थान के समन्वयक नरेश पारस ने डीएम, बीएसए एवं मुख्यमंत्री की जनसुनवाई पोर्टल में लिखित शिकायत दर्ज की है. शिकायत दर्ज किए हुए करीब एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन अधिकारियों की ओर से इस संबंध में कोई भी रिप्लाई नहीं आया है. बच्चे बालगृह में ही रह रहे हैं.

बालगृह के सामने ही है स्कूल

बालगृह में रहने वाले इन नौ बच्चों को इसकी जानकारी नहीं है कि उन्हें आखिरकार किस कारण से शिक्षा से वंचित किया जा रहा है जबकि उनके साथ के पांच बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए जा रहे हैं. बालगृह के सामने ही प्राथमिक विद्यालय हैं, जिसमें बच्चों को भेजा जा सकता है.

बाल गृह के बच्चों को अन्य बच्चों की तरह शिक्षा मिल सके, इसके लिए आलाधिकारियों को लिखित में शिकायत दी गई है. सरकारी स्कूल द्वारा स्टाफ कम कहकर एडमीशन न देना गलत है.

नरेश पारस, समन्वयक, महफूज सुरक्षित बचपन