आगरा। सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिन मासूमों के हाथ में कलम होनी चाहिए, उन नन्हें हाथों में झाड़ू पकड़ा दी गई है। मलपुरा के गांव कंचनपुर के प्राथमिक विद्यालय में प्रतिदिन बच्चे स्कूल की सफाई करते हैं। इसके बाद मैडमजी आ जाएं, तो ठीक, नहीं आए, तो बच्चे कुछ देर बैठकर चले आते हैं।

कंचनपुर गांव का मामला

थाना मलपुरा के गांव कंचनपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में कुछ ऐसा ही नजारा रोज देखने को मिलता है। यहां पर बच्चे झोला लेकर पढ़ने के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें यहां पढ़ाई नहीं कराई जाती, बल्कि काम कराया जाता है। स्कूल में कोई अन्य स्कूल नहीं है। जिसके चलते अभिभावकों की भी मजबूरी है, कि इसी स्कूल में बच्चों को भेजना है।

पढ़ाई नहीं सिर्फ करते काम

प्राथमिक विद्यालय कंचनपुर में बच्चे पढ़ाई नहीं, सिर्फ काम करते हैं। मंगलवार सुबह जब स्कूल के दरवाजे खुले, तो गांव के एक जागरूक युवक ने अपने कैमरे में यह नजारा कैद किया। सुबह नौ बजे स्कूल पहुंचे बच्चों ने हाथों में झाड़ू उठाई और उसके बाद सफाई शुरू कर दी। कुछ बच्चे स्कूल में झाड़ू लगा रहे थे, तो कुछ बच्चे कूडे़ को एकत्र करके बाहर फेंक रहे थे।

बच्चों के काम करने में नहीं कोई बुराई

जब इस मामले में बीएसए ओमकार सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्कूल में सफाई के लिए कोई स्टाफ नहीं होता है। स्कूल में सफाई की जिम्मेदारी गांव प्रधान की होती है। और यदि बच्चे स्कूल में ये काम करते हैं, तो कोई बुराई नहीं है। इस बहाने बच्चे श्रमदान कर देते हैं।

बीएसए ओमकार सिंह ने बताया कि स्कूल में साफ-सफाई की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की होती है। उनके स्तर से सफाई कर्मचारी नियुक्त किया जाता है, जो स्कूल की सफाई करता है।

ग्राम प्रधान धनौली अनिल प्रकाश ने कहा कि स्कूल में सफाई के लिए सफाई कर्मचारी नियुक्त किया गया है, लेकिन वह आया नहीं था, जिसके चलते स्कूल की मैडम मधुबाला के कहने पर बच्चे कूड़ा साफ कर रहे थे।

जिलाध्यक्ष इंटक संजय सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस तरह स्कूल में बच्चों से सफाई कराना गलत है। श्रमदान स्वेच्छा से होता है। बच्चे स्कूल में शिक्षा के लिए जाते हैं और इतने छोटे बच्चे श्रमदान का क्या मतलब समझेंगे।