- सस्ते में मिल जाए मजदूर, इसके लिए किशोरों को ही झोंक दिया निर्माण कार्य में

- डीडीयूजीयू के सामने बन रहे फुटपाथ में बिगड़ रहा नौनिहालों का भविष्य

GORAKHPUR: देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों की तकदीर से खिलवाड़ कर जिम्मेदार वर्तमान गढ़ने चले हैं। जी हां, डीडीयूजी के ठीक सामने हो रहे फुटपाथ निर्माण में दर्जनों नाबालिग काम कर रहे हैं। नन्हें हाथों में महज इसलिए फावड़े थमा दिए गए हैं क्योंकि वे कब पैसे में उपलब्ध हैं। आई नेक्स्ट टीम की पड़ताल में पता चला कि मजदूरों को जिस काम के लिए 250 रुपए की मजदूरी देनी पड़ती है, वही काम लेकर नौनिहालों को 120 रुपए थमा दिए जाते हैं। जिम्मेदारों के इस नफे और नुकसान के गणित में नौनिहालों की बिगड़ती तकदीर का हिसाब न तो कोई लेने वाला है और न ही देने वाला। रोड से कितने ही साहब उन्हें निहारते हुए गुजर जाते हैं।

महज 13 से 5 साल उम्र

फुटपाथ निर्माण में लगाए गए इन लड़कों की उम्र महज 13 से 15 साल है। काम में लगे एक बालक से बात की गई तो बताया कि उसे 120 रुपए मजदूरी पर रखा गया है। उसके साथ काम कर रहे बड़े मजदूरों को इसी काम के 250 रुपए मिलेंगे। उसने बताया कि वह पढ़ाई नहीं करता। घर में मजबूरी के कारण वह काम करता है। इसी टाइम पर स्कूल भी होता है इसलिए पढ़ना नसीब नहीं हो सका। महज 13 साल की उम्र के लड़के ने जब बताया कि वह करीब 4 साल से काम कर रहा है तो दिल दहल गया। यानी वह 9 साल से ही बाल मजदूर के रूप में काम कर रहा है।

अपना लाभ देखते हैं साहब

एक बालक ने बताया कि कोई उनका दर्द नहीं देखता। सभी अपना लाभ देखते हैं। वे बड़ों के बराबर ही काम करते हैं। इसके बाद भी उनके आधे रुपए उन्हें दिए जाते हैं। जब कभी बड़े मजदूर के बराबर ही रुपए की डिमांड करते हैं तो उन्हें काम नहीं करने के लिए कहा जाता है। वे अपनी मजबूर हैं इसी हालात में काम करने के लिए क्योंकि उन्हें घर चलाने के लिए पैसे चाहिए। इनमें से एक बच्चे ने बताया कि वह स्कूल भी जाता है। लेकिन, काम में व्यस्त रहने के कारण पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती। नौनिहालों के मासूम हाथ, जिनमें किताब होनी चाहिए, उन हाथों में फावड़े देखकर भी जिम्मेदार चुप क्यों हैं। इसका जवाब कोई अधिकारी नहीं देना चाहता।