- 70 परसेंट बच्चें एक्यूट वायरल व कान और गले की इंफेक्शन से पीडि़त

pryagraj: इन दिनों बदलते मौसम में वायरल इंफेक्शन सबसे आम समस्या है, लेकिन इसमें बरती गई लापरवाही की कीमत जरूर छोटे बच्चों पर भारी पड़ रही है। वायरल के चपेट में आए बच्चे अधिक संख्या में सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। जिसमें एक्यूट वायरल और वेलस्पटरी वायरल इंफेक्शन से बच्चे पीडि़त हैं। जिसे हम कॉमन लैंग्वेज में सर्दी जुकाम,खांसी कहते हैं। इसके अलावा डायरिया और निमोनिया से पीडि़त बच्चे भी इलाज के लिए आ रहे हैं।

तीन माह से पांच साल के बच्चे हैं इफेक्टिव

हॉस्पिटल आने वाले करीब 70 परसेंट बच्चें एक्यूट वायरल व कान और गले की इंफेक्शन से पीडि़त हैं। इसमें ज्यादातर लगभग थ्री मंथ से लेकर फाइव इयर तक के बच्चों की संख्या अधिक है। एक्यूट वायरल के बाद बच्चे सबसे अधिक डायरिया और निमोनिया रोग के शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे भी केस आते हैं जिसमें बच्चों में डायबिटीज के लक्षण पाये जाते हैं। हांलाकि इस रोग के चपेट से बच्चे अभी कोसो दूर है।

इन खतरनाक बीमारियों की चपेट में हैं मासूम

सप्टोशिनिया, बैक्टीरिया इन्फेक्शन, ब्रोनिकियल अस्थमा, मनेंजाइटिस, एनकेफ्लाइटिस, मलेरिया, टायफाइड से भी बच्चे जूझ रहे हैं, हांलाकि इन बिमारियों की संख्या न्यूनतम है।

वायरल फीवर के लक्षण

- छोटे बच्चों की इम्यूनिटी पॉवर कमजोर होती है लिहाजा उन्हें वायरल फीवर सबसे पहले अपनी चपेट में लेता है।

- हाई फीवर, आंखों में जलन, सिरदर्द, बदन दर्द और उल्टी हो होना

वायरल फीवर का कारण

- कोई इंफेक्टेड व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो वायरल इंफेक्शन फैलता है।

- वायरल फीवर से पीडि़त के संपर्क में आने पर भी बच्चे वायरल फीवर की चपेट में आ सकता हैं।

- जिन बच्चों को सर्दी, जुकाम, खांसी हो उससे अपने बच्चों को दूर रखें

- वायरल फीवर का इंफेक्शन कैरी करने वाले कीड़े मकौड़े बच्चे को काट लें तो उससे भी बच्चे को वायरल फीवर हो सकता है।

बच्चे का रखें विशेष ख्याल

- अगर बच्चा वायरल से इफेक्टेड है तो उसे ज्यादा से ज्यादा रेस्ट करने दें।

- जहां तक हो उसे स्कूल न भेजे और न ही उसे ज्यादा देर तक खेलने दें

- पानी की मात्रा में कमी न होने पाये, बराबर उसे आरओ एवं उबाला हुआ पानी दिया जाय।

- डॉक्टर की एडवाइस के अनुसार प्रॉपर मेडिसीन लें

- बच्चों के डायट पर भी पूरा ख्याल रखें, फास्ट फूड आदि न दें।

अगर पैरेटं्स को लगे कि बच्चे का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो बच्चों को तुरंत डाक्टर्स को दिखाएं व समय पर इलाज करवाएं।

डा। मुकेश वीर सिंह,

चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, प्रयागराज