RANCHI : डायबिटीज तेजी से अपने पैर पसार रहा है। अब तो छोटे बच्चे भी इसकी चपेट में है। स्थिति यह है कि डायबिटीज के कारण छोटे बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे है। वहीं बड़े बच्चों का बॉडी ग्रोथ ही रुक गया है। ऐसे में डायबिटीज को लेकर डॉक्टरों और पैरेंट्स को जागरूक करने के लिए कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। ताकि डायबिटीज होने के बाद भी आपका बच्चा फिट और हेल्दी लाइफ जी सके।

30-35 बच्चों को डायबिटीज

हॉस्पिटल के पेडिया वार्ड सैकड़ों बच्चों का इलाज चल रहा है। जिसमें 30-35 बच्चों को डायबिटीज की समस्या है। इन बच्चों को लेकर डॉक्टर से ज्यादा उनके पैरेंट्स चिंतित है कि पूरी लाइप कैसे कटेगी। चूंकि डायबिटीज होने के बाद लोग बस यहीं समझते है कि अब उनकी लाइफ में गिनती के दिन बचे है।

14 साल के बच्चे का वजन सात किलो

बच्चे टाइप वन डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे है। लेकिन उनकी परेशानी यहीं खत्म नहीं होती। डायबिटीज वाले बच्चों का विकास भी रूक जाता है। इस वजह से इलाज के लिए आने वाले बच्चे अंडर वेट है। वहीं ज्यादातर बच्चे कुपोषण के शिकार हो गए है। इतना ही नहीं कई बच्चों में फैट की भी कमी हो जाती है। कुछ ऐसे भी बच्चे इलाज के लिए रिम्स पहुंच रहे है जिनकी उम्र 14 साल है लेकिन वजन मात्र सात किलो है।

डॉक्टरों और पैरेंट्स को किया जाएगा अवेयर

बच्चों में डायबिटीज की बढ़ती समस्या को लेकर रिम्स में एक कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। जिसका विषय मालन्यूट्रिशन इन जूवेनाइल डायबिटीक है। कांफ्रेंस में बच्चों का इलाज करने वाले डॉक्टरों के साथ ही सर्जरी, गायनी, मेडिसीन के डॉक्टरों को भी बच्चों में डायबिटीज की समस्या से अवगत कराया जाएगा। इलाज के दौरान सावधानी बरतने न सिर्फ बीमारी ठीक होगी बल्कि बच्चा एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही लाइफ भी जी सकेगा।