GORAKHPUR: मुक्तिपथ वाले बाबा के नाम से मशहूर राजेश त्रिपाठी चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। बसपा के बैनर तले चुनाव लड़कर उन्होंने पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी को करारी शिकस्त दी थी। लोगों के लिए यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल था कि राजेश त्रिपाठी इस सीट को जीत पाएंगे। तब उनकी जीत पर बसपा सरकार ने राज्य मंत्री का तोहफा दिया था। ख्0क्ख् में राजेश त्रिपाठी दोबारा बसपा से चिल्लूपार के विधायक चुने गए। हाल के दिनों में बसपा के हर कार्यक्रम में सक्रियता से शामिल होने वाले राजेश त्रिपाठी अचानक पार्टी छोड़ने का ऐलान कर देंगे इसका भी सहज अनुमान लगा पाना लोगों के लिए कठिन था।

यह लिखा है मैसेज

प्रियवर,

जय महाकाल!

मिल रही सटीक सूचनाओं के आधार पर दिल से मुझे चाहने वाले बसपा के अपने साथियों से क्षमा मांगते हुये भारी मन से हम उस पार्टी से विदा लेना चाह रहे हैं, जिसकी आप सभी के भरोसे दस साल अपनी जान पर खेलकर सेवा की! जो सीट कभी अपराजेय मानी जाती थी, वह सीट आपके आशीर्वाद से जीत के लिए तरसती पार्टी की झोली में पड़ी !

जिसके लिये दो-दो बार हमारी हत्या की सुपारी दी गयी, चारित्रिक हनन का असफल प्रयास हुआ, हम उसे आज तिलांजलि देने जा रहे हैं! महर्षि अष्टावक्र के सिद्धांत, जीवन एक सूखा पत्ता है, नियति रूपी हवा का झोंका उस सूखे पत्ते को कहां ले जायेगा, वह पत्ता नहीं जानता। नियति का वह झोंका उसे किसी मंदिर में देवता के चरणों में पटक देगा या किसी श्मशान की जलती चिता में झोंक देगा या फिर किसी बजबजाती नाली के कीड़ों के साथ सड़ने को विवश करेगा, या फिर किसी सत्ता-सिंहासन तक उड़ाता हुआ पहुंचा देगा, सूखे पत्ते को कुछ नहीं पता, इसको स्वीकार कर अपने को सूखा पत्ता मानते हुये नियति, महाकाल के और आपके हवाले कर रहा हूं!

-आपका

राजेश त्रिपाठी

विधायक चिल्लूपार

पूर्व राज्य मंत्री, मुक्तिपथ वाले बाबा