- इस बार होली के लिए नहीं आया चाइना से माल

- मार्केट में बिक रहीं 2018 की बची पिचकारी, बिकने लगे मोदी और योगी की फोटो वाले मुखौटे

GORAKHPUR: होली नजदीक है लेकिन चाइनीज पिचकारी के बिना मार्केट उदास लग रहा है। कारोबारी इस ऊहापोह में हैं कि चीन की पिचकारी महंगे रेट में खरीदें या फिर देसी से काम चलाएं। इन सबके बीच वह कारोबारी मुनाफे की स्थिति में हैं जिन्होंने साल भर पहले ही पिचकारी का ऑर्डर लगा दिया था। होली में चीन से बड़ी मात्रा में पिचकारियां और फोम स्प्रे मंगाई जाती हैं। पिछले कुछ वर्षो में लोगों ने देश में बनी पिचकारियों को तरजीह देनी शुरू की है, लेकिन सस्ती होने के चलते चीन की पिचकारियों की डिमांड कम नहीं हुई है।

मार्केट में छाया मोदी और योगी का मुखौटा

होली के बाजार में भी ब्रांड मोदी छाया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फोटो वाली टोपी और मुखौटों की बाजार में धूम है। इस बार नेताओं में सिर्फ मोदी के चेहरे वाले मुखौटे ही थोक बाजार में आए थे जो देखते ही देखते बिक गए। थोक दुकानदारों ने बाजार में तेजी को देखते हुए फिर से नए ऑर्डर दिए हैं।

इस दाम में बिक रही टोपी

हर दुकान पर इन टोपियों को ऐसे डिस्प्ले किया गया है कि ग्राहक आकर्षित हों। चमकदार पन्नी वाली टोपी 66 रुपए दर्जन बिक रही है तो कपड़े वाली टोपी 132 रुपए दर्जन अन्य टोपियों की कीमत इनकी तुलना में कुछ कम है। थोक में 40 से 45 रुपए प्रति पीस के हिसाब से मोदी मुखौटे बिके।

नहीं दिख रही चीन की पिचकारी

कारोबारियों का कहना है कि कोरोना के चलते चीन पिचकारियों के ऑर्डर की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। साफ है, इस होली में बच्चों के हाथों में चीन की पिचकारियां पूर्व के वर्षो की तुलना में काफी कम दिखेंगी। कारोबारियों को साल भर पहले की बची चीनी पिचकारियां खरीदनी पड़ रही हैं। चीन की पुरानी पिचकारियों के दाम में भी 30 फीसदी तक बढ़ोत्तरी हो गई है।

बिक रहीं 2018 में बनी पिचकारियां

साहबगंज की थोक मंडी में अभी पिचकारियों का बाजार गुलजार नहीं हो सका है। थोक की बमुश्किल आधा दर्जन दुकानों पर ही पिचकारियां दिखीं। इन पर पिचकारियों के बनने का वर्ष 2018 लिखा है। दुकानदार इमरान का कहना है कि होली को लेकर सात महीने पहले ऑर्डर बुक हुए थे। दिल्ली में बैठे सप्लायर बता रहे हैं कि चीन से आने वाला माल रास्ते में फंसा है। पुराना स्टॉक ही क्लियर किया जा रहा है।

बढ़ी देश में बनीं पिचकारियों की डिमांड

चीन से आपूर्ति न होने से देश में बनीं पिचकारियों की डिमांड बढ़ गई है। दिल्ली में पिचकारी का उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियों के प्रतिनिधि साहबगंज मंडी से हफ्ते भर पहले ही ऑर्डर बुक कर चुके हैं। थोक कारोबारी का कहना है कि देश में भी चाइना की डाई से ही वाटर गन और अन्य पिचकारियां बनती हैं। देश में बनीं पिचकारियां 20 से 200 रुपए में उपलब्ध होंगी।

पांच करोड़ का कारोबार

गोरखपुर में चाइनीज पिचकारियों का कारोबार करीब पांच करोड़ रुपए का है। साहबगंज में दो दर्जन से अधिक कारोबारी चीन से पिचकारी और फोम स्प्रे मंगाते हैं। एक कारोबारी 20 से 25 लाख रुपए का माल मंगाता है। कारोबारी विशाल का कहना है कि कोरोना का असर जो भी हो, अब लोग देश में बनी पिचकारियों को तरजीह दे रहे हैं। चीन की पिचकारियां एक से दो दिन में कबाड़ हो जाती हैं।