15 मई, 2008: 14 वर्षीय आरुषि का शव नोएडा के जलवायु विहार स्थित उसके घर के एक कमरे में बिस्तर पर पड़ा मिला. उस समय घर में सिर्फ चार लोग मौजूद थे. आरुषि के माता -पिता राजेश और नूपुर तलवार और नौकर हेमराज. लेकिन मौके पर हेमराज के नहीं होने पर पुलिस ने हेमराज को आरुषि का कातिल मान लिया.

17 मई, 2008: मामले में नया मोड़ तब आया, जब छानबीन के दौरान हेमराज का शव घर की छत पर मिला.

23 मई, 2008: नोएडा पुलिस ने डॉ राजेश तलवार को अपनी बेटी आरुषि और हेमराज के दोहरे हत्याकांड में गिरफ्तार किया.

31 मई, 2008: सीबीआइ ने डॉ तलवार के कंपाउंडर कृष्णा, पड़ोसी के नौकर विजय मंडल और तलवार के बिजनेस पार्टनर डॉक्टर दुर्रानी के नौकर राजकुमार को गिरफ्तार किया.

11 जुलाई, 2008: सीबीआइ के ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण कुमार ने प्रेस कांफ्रेस के दौरान डॉ तलवार को क्लीनचिट दी.

9 सितंबर, 2008: नौकरों के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं होने से जमानत पर रिहा हो गए.

9 सितंबर, 2009: एजीएल कौल के नेतृत्व में नई सीबीआइ नई टीम गठित.

29 सितंबर, 2010: सीबीआइ ने कोर्ट में तलवार दंपति के खिलाफ सुबूत पेश किए.

25 जनवरी, 2011: डॉ तलवार ने याचिका दायर कर मामले को बंद करने की बात कही.

9 फरवरी, 2011: विशेष अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए तलवार दंपति को हत्याकांड का आरोपी होने के साथ, सुबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी करार देते हुए ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया

11 अप्रैल, 2012: विशेष अदालत ने नूपुर तलवार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया.

30 अप्रैल, 2012: नूपुर ने कोर्ट के समक्ष समर्पण किया.

8 जून, 2012: आरुषि- हेमराज हत्याकांड मामले में तलवार दंपति को अभियुक्त बनाते हुए सुनवाई शुरू.

17 सितंबर, 2012: सुप्रीम कोर्ट से नूपुर तलवार को जमानत मिली.

16 अप्रैल, 2013: सीबीआइ ने तलवार दंपति को हत्याकांड का दोषी बताया.

24 मई, 2013: बचाव पक्ष ने दलील दी कि तलवार दंपति पर लगे सारे आरोप मात्र एक अनुमान है, इनमें कोई सच्चाई नहीं.

12 नवंबर, 2013: अंतिम बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने 25 नवंबर के लिए फैसला सुरक्षित रख दिया.

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