- लखनऊ बेंच के फैसले के बाद रजिस्ट्री डिपार्टमेंट के पसीने छूटे

- कैसे होगा पूरा टारगेट, सता रही है चिंता

- डेली एवरेज सवा करोड़ रुपए का वसूला जा रहा राजस्व

Meerut : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा बिना उचित कारण के हर साल सर्किल रेट बढ़ाए जाने को गैरकानूनी करार देकर रजिस्ट्री डिपार्टमेंट के अधिकारियों के पसीने छुड़ा दिए हैं। अब उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी है कि आने वाले समय में राजस्व वसूली का मिलने वाला लक्ष्य कैसे पूरा होगा? इसके लिए अधिकारियों के बीच काफी गहरा मंथन भी चल रहा है। वैसे भी जिले में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर चल रही हड़ताल और हंगामें चलने रजिस्ट्री डिपार्टमेंट में कम रजिस्ट्री हो पा रही है। याद दिला दें कि लखनऊ बेंच ने बिना कारण बताए म् अगस्त ख्00फ् को लखनऊ के जिलाधिकारी द्वारा बढ़ाए गए सर्किल रेट को रद कर दिया है। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को इस बाबत सभी जिलाधिकारियों को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस देवी प्रसाद सिंह व जस्टिस राजीव शर्मा की बेंच ने लखनऊ निवासी प्रवीण कुमार जैन की ओर से ख्0क्0 में दायर रिट याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए पारित किया।

हर साल बढ़ जाते हैं सर्किल रेट

अगर डीएम सर्किल रेट की बात करें तो हर साल रजिस्ट्री डिपार्टमेंट अपनी सर्वे रिपोर्ट तैयार कर सर्किल रेट का असेसमेंट कर देता है। जिसके बाद डीएम द्वारा उसकी स्टडी कर हरी झंडी दे देता है। इस पूरे असेसमेंट में करीब क्0 से क्भ् फीसदी की वृद्धि की जाती है। इससे पहले दो सालों में असेसमेंट किया जाता था। जो कि ख्0 से ख्भ् फीसदी के करीब होता था। अधिकारियों का तर्क है कि पहले सर्किल रेट दो सालों में बढ़ाए जाते थे। तब ख्0 से ख्भ् फीसदी की बढ़ोत्तरी होती थी। अब साल में एक बार होती है, ऐसे में उसका हाफ कर दिया है। वैसे बेंच के ऑर्डर पर किसी भी अधिकारी ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी न्यायिक विभाग में ऑर्डर को स्टडी किया जाएगा। साथ ही इस पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी में भी जाया जा सकता है।

सर्किल रेट बढ़ाने के ये हैं नियम

यूपी स्टाम्प वैल्यूएशन ऑफ प्रॉपर्टी रूल्स क्997 के नियम ब् व भ् के तहत रेट परिवर्तित करते समय जिलाधिकारी को भूमि के प्रकार, सिंचाई की उपलब्धता, सड़क, बाजार, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, शैक्षिक संस्थान,अस्पताल व सरकारी दफ्तरों से संबद्धता आदि को ध्यान में रखना और उनका उल्लेख करना जरूरी होता है।

ये था पूरा मामला

लखनऊ निवासी याची ने क्7 मार्च ख्00ब् को अपने हिस्से की जमीन का मेसर्स तनीषा बिल्डर्स को करीब बीस लाख रुपये में बैनामा किया था। तनीषा बिल्डर्स ने उस जमीन का लैंड यूज क्9 फरवरी ख्007 को परिवर्तित करवाया, फिर मेसर्स ओमेक्स लिमिटेड को फ्ख्8 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से बेचा। वहीं तत्कालीन डीएम ने नवनीत सहगल ने क् अप्रैल ख्00ख् को तय सर्किल रेट रुपए 8 लाख प्रति एकड़ को म् अगस्त ख्00फ् को बढ़ाकर ब्म्.भ्7 लाख रुपये प्रति एकड़ कर दिया। इस सर्किल रेट को फिर क्म् जून ख्00ब् को घटाकर बीस लाख रुपए प्रति एकड़ कर दिया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने याची को जमीन बेचने से मिले पैसे पर उचित टैक्स न देने पर नोटिस दे दिया। इस पर याची ने म् अगस्त ख्00फ् के सर्किल रेट को ही चुनौती दे दी।

अभी हमें इस पर लिखित में कुछ नहीं मिला है। जैसे ही इस पर कोर्ट का या शासन ने कुछ आएगा तो तुरंत इंप्लीमेंट किया जाएगा।

- पंकज यादव, डीएम

हमें मीडिया के माध्यम से ये न्यूज मिली है। अभी लिखित में कुछ नहीं आया है। जैसे लिखित में कुछ आएगा तो सोचा जाएगा। वैसे कोर्ट के आदेश पर किसी तरह की कोई टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।

- शिवदत्त सिंह, एआईजी, स्टांप एंड रजिस्ट्री डिपार्टमेंट

कुछ ऐसा है पांच सालों का रिकॉर्ड

प्लेस ख्0क्ब्-क्भ् ख्0क्फ्-क्ब् ख्0क्ख्-क्फ् ख्0क्क्-क्ख् ख्0क्क्-क्0

पीएल शर्मा रोड़ भ्भ्,000 ब्भ्,000 फ्8,भ्00 फ्भ्,000 फ्ख्,भ्000

बेगमपुल से

जीआईसी तक म्भ्,000 भ्भ्,000 ब्म्,000 फ्9,क्00 फ्फ्,क्00

हापुड़ अड्डा से

सोहराब गेट तक भ्7,000 ब्8000 ब्0,800 फ्भ्000 ख्9,8000

एल-ब्लॉक से

बाइपास मोड ब्0,000 फ्भ्,000 फ्0,भ्00 ख्म्,भ्00 ख्फ्,000