नई दिल्ली (पीटीआई)। मालदीव के संसद अध्यक्ष मोहम्मद नशीद ने शुक्रवार को कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम भारत का एक आंतरिक मामला है, देश हमेशा सताए गए अल्पसंख्यकों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना रहा है। अपना खुद का उदाहरण देते हुए नशीद ने कहा कि भारतीय उच्चायोग ने उन्हें उस समय शरण दी थी, जब वह मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा गिरफ्तार किए जाने वाले थे। मीडिया से बात करते हुए नशीद ने कहा, 'धार्मिक उत्पीड़न गलत है और भारत हमेशा सताए गए लोगों को शरण देगा। जब राष्ट्रपति यामीन मुझे गिरफ्तार करना चाहते थे और जब मैं भारतीय उच्चायोग गया तो उन्होंने मुझे शरण दी। वे मुझे भारत लाने के लिए काफी इच्छुक थे। धर्मनिरपेक्ष भारत इस तरह के विचार से अल्पसंख्यकों का सम्मान कर रहा है।

भारतीय लोकतंत्र पर पूरा भरोसा

नशीद ने कहा, 'मुझे भारतीय लोकतंत्र पर पूरा भरोसा है और यह काम भारत के अधिकांश लोग चाहते हैं। यह भारत का आंतरिक मामला है। भारत सताए हुए अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सुरक्षित ठिकानों में से एक है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा ने बुधवार को लोकसभा द्वारा पास करने के दो दिन बाद पारित किया था। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को इस विधेयक को एक अधिनियम में बदल दिया। अधिनियम के अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं, वह अब अवैध आप्रवासियों के रूप में नहीं माने जाएंगे, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

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भारत दौरे पर आए हैं मोहम्मद नशीद

अधिनियम में कहा गया है कि गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को 11 साल की पूर्व आवश्यकता के बजाय पांच साल तक भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता दी जाएगी। अधिनियम में ऐसे शरणार्थियों को प्रतिरक्षा देने का भी प्रस्ताव है, जो अवैध आप्रवासियों के रूप में मामलों का सामना कर रहे हैं। बता दें कि मालदीव के संसद अध्यक्ष मोहम्मद नशीद इन दिनों भारत दौरे पर आए हैं और दिल्ली में मीडिया द्वारा उनसे नागरिकता कानून पर उनकी प्रतिक्रिया मांगे जाने पर उन्होंने यह बात कही।

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