कुछ हेली कंपनियां का दावा, राज्य सरकार ने नहीं किया अब तक वर्ष 2016-17 का भुगतान

देहरादून,

गढ़वाल मंडल विकास निगम केदारनाथ में हेली सेवा देने वाली कंपनियां और उत्तराखंड सिविल एविएशन अथॉरिटी के बीच चल रहे विवाद में फंस गया है। दरअसल सरकार ने इस बार केदारनाथ हेली सर्विसेस के टिकट बुकिंग की जिम्मेदारी जीएमवीएन को सौंपी थी। जीएमवीएन टिकट की राशि कंपनियों के खाते में ट्रांसफर करती रही। इस दौरान कई बार मौसम की खराबी आदि के कारण सेवा संचालित नहीं हुई। अब सेवा कैंसिल होने के कारण टिकट बुकिंग की जो राशि रिफंड होनी है, वह जीएमवीएन के सिर पड़ गई है। हेली कंपनियां इस राशि को यह कह कर वापस नहीं कर रही हैं कि उसने यूकाडा को पहले से पैसे दे रखे हैं। जीएमवीएन अब तक डेढ़ करोड़ रुपये रिफंड कर चुका है।

सरकार पर देनदारी

लगातार आ रहे यात्रियों के फोन कॉल्स के बीच अब तक निगम करीब डेढ़ करोड़ की धनराशि रिफंड कर चुका है। जबकि रकम करीब दो करोड़ से अधिक बताई गई है। इस बारे में जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने हेली कंपनियों से वास्तविक स्थिति जानने की कोशिश की, तो असली कहानी सामने आई।

जीएमवीएन फंसा अधर में

जिन हेली कंपनियां के खाते में टिकट बुकिंग की अमाउंट चली गई है, वह अब रिफंड करने के मूड में नहीं हैं। इसकी वजह कंपनियां यह बता रही हैं कि उनका पैसा खुद यूकाडा के पास है। एक कंपनी ने बताया कि वर्ष 2016-17 में हेली संचालन में सरकार ने उनसे पहले ही रकम वसूल ली थी। हालांकि उस वक्त खुद कंपनियों के पास टिकट बुकिंग के अधिकार थे। माना जा रहा है कि यही वे हेली कंपनियों हैं, जिनका पैसा पहले से सरकार के पास है। इस वजह से वह अब टिकट की राशि रिफंड नहीं कर रही हैं। हालांकि 9 में से भी कुछ ऐसे कंपनियां हैं, जिनके खाते में टिकट बुकिंग की धनराशि ट्रांसफर ही नहीं हुई। आर्यन हेली के मैनजमेंट ने बताया कि उन्होंने केदारनाथ में सितंबर व अक्टूबर माह में अपनी सेवाएं दी हैं। लेकिन टिकट की धनराशि ही उनके खाते में नहीं पहुंची। यह रकम करीब 60 लाख रुपए तक बताई जा रही है। बहरहाल, गढ़वाल मंडल विकास निगम नई मुसीबत में फंसता दिख रहा है। एक तरफ यात्रियों के टिकट का रिफंड, ऊपर से यूकाडा व हेली कंपनियों के बीच विवाद। फिलहाल, जीएमवीएन का कहना है कि जो रिफंड उसने अपने खाते से कराया है। उसके पेमेंट की जिम्मेदारी यूकाडा की ही होगी। जिसके लिए पत्राचार जारी है।