कानपुर। भारत के मुख्य न्‍यायाधीश शरद अरविंद बोबडे शनिवार को कहा कि देश में हाल की घटनाओं ने नए जोश के साथ पुरानी बहस पीछे छेड़ दिया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपराधिक न्याय प्रणाली को अपनी स्थिति और लापरवाही के प्रति नजरिए पर फिर से विचार चाहिए। बता दें कि चीफ जस्टिस बोबडे शनिवार को जोधवार में एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इसी दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि न्याय तुरंत हो सकता है या होना चाहिए। बोबडे ने कहा कि न्याय कभी भी बदले की भावना से नहीं किया जा सकता है।


बदले की भावना से किया गया न्याय खो देता है चरित्र

बोबडे ने कहा कि अगर बदले की भावना से न्याय किया जाता है तो वह न्याय अपने चरित्र को खो देता है। उन्होंने कहा, 'न्यायपालिका को आत्म-सुधारात्मक उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। उन आत्म-सुधारात्मक उपायों को प्रचारित किया जाना चाहिए या नहीं, बहस का विषय हो सकता है। लेकिन, संस्थान (न्यायपालिका) को खुद को सही करना चाहिए क्योंकि उन्होंने खुद आलोचनाओं भरी प्रेस कांफ्रेंस की हैं।' बता दें कि 63 साल के बोबडे 18 नवंबर को भारत के 47 वें मुख्‍य न्‍यायाधीश बने। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उन्हें दिलवाई।& जस्टिस बोबडे का सीजेआई के रूप में कार्यकाल 17 महीने का होगा, वे 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे।

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