- क्लैट की परीक्षा में जमकर हुई गड़बडि़यां

- जिस कंपनी को परीक्षा आयोजन का दिया गया ठेका वह इस कार्य के लायक ही नहीं

- बार-बार चेंज हो रही मेरिट लिस्ट, नियम के विरूद्ध एनआरआइ कोटे की बढ़ायी गई सीटें

shambhukant.sinha@inext.co.in

PATNA : देश भर के क्8 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की परीक्षा क्लैट अब खुद कठघरे में है। जिस कंपनी को इस परीक्षा के आयोजन की जिम्मेवारी दी गई थी, वह इसके योग्य ही नहीं थी। यही नहीं टेंडर प्रक्रिया का बिना पालन किए इस कंपनी को प्रवेश परीक्षा आयोजन करने का ठेका दे दिया गया। जबकि नियमानुसार टेंडर प्रक्रिया के तहत ऐसी कंपनी का चयन होना था जिसका पिछले तीन साल से हर साल भ्0 करोड़ से अधिक का टर्नओवर हो। कंपनी को बने हुए ही कुल फ् साल हुए है। इसका खुलासा आरटीआई से निकाले गए दस्तावेजों में हुआ है। यही कारण है कि क्लैट के मेरिट लिस्ट बार-बार चेंज हो रही है। इतना ही नहीं अयोग्य कंपनी को ठेका देना का ही खामियाजा है कि इस परीक्षा में पूछे गए क्म् सवाल गलत थे, जिसकी पुष्टि को-आर्डिनेटिंग यूनिवर्सिटी सीएनएलयू ने भी की है।

बिना प्री-बिड के दे दिया काम

क्लैट ख्0क्7 के लिए कॉर्डिनेटिंग यूनिवर्सिटी पटना स्थित चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बनाया गया था। सीएनएलयू ने इस एग्जाम को कंडक्ट करने के लिए नियम के विरूद्ध हरियाणा की लोर इंडिया फाउंडेशन को जिम्मा दिया गया। इसका खुलासा आरटीआई के सवालों में हुआ है। सीएनएलयू से क्फ् सवाल किए गए और हर जवाब में एक बड़ा घोटाला सामने आया। उदाहरण के तौर पर आपको सवाल बताते हैं -

सवाल- एनआईक्यू -08/ ख्0क्म् (क्लैट एग्जाम) के टेंडर रेफरेंस में कितने बिडर्स ने पार्टिसिपेट किया? कृप्या पार्टिसिपेटिंग कंपनी का नाम भी बताएं?

जवाब - मेसर्स लोर इंडिया फाउंडेशन, गुडगांव।

गड़बड़झाला- इस जवाब से स्पष्ट है कि किसी और कंपनी ने टेंडर किया ही नहीं केवल एक ही कंपनी ने टेंडर किया और उसे काम दे दिया गया।

सवाल- क्या कोई प्री-बीड किया गया था? यदि हां, तो प्री-बीड की डेट बताएं, यहां कराया गया था और इसमें कौन सभी कंपनियां पार्टिसिपेट की थी?

जवाब- नहीं

गड़बड़झाला- इतना बड़ा टेंडर और सीएनएलयू पहली बार यह एग्जाम कंडक्ट कराने जा रही थी, उसके बावजूद प्री-बिड की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी

यह पहला मौका है जिसमें मेरिट लिस्ट के बदल जाने से इसके अभ्यर्थी परेशान हैं। समस्या यह है कि मीडिया के सामने ये पीडि़त खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। लेकिन इसकी पुष्टि लिस्ट को देखने से स्वत: ही हो रही है। उदाहरण के लिए चिराग गुप्ता, एक अभ्यर्थी हैं जिनका एआइआर रैंक ख्भ्7म् है और एनआरआई स्पां‌र्स्ड रैंक 9ब् है। यह रैंक बाद में क्ब्फ् हो गया। ऐसी स्थिति केवल चिराग की नहीं बल्कि सैंकड़ों मामले है। ऐसे मामले उजागर होने के बाद मेरिट वाले अभ्यर्थियों के बीच चिंता का माहौल है। सिर्फ यही नहीं, एनआरआई कोटे की सीटें को बढ़ा दी गई है। फ्79 एनआरआई स्पांसर्ड सीट थी जो लगभग 700 से अधिक कर दी गई है।

कहीं सारा खेल पैसे का तो नहीं

क्लैट एग्जाम में एक एप्लीकेशन की फीस ब्000 रुपए थी। इसमें से म्90 रुपए लोर इंडिया को दिए गए। सोशल वर्कर दिव्यांशु शेखर का आरोप है कि इतनी अधिक राशि देश में किसी भी एग्जाम में नहीं ली जाती है। क्लैट की तरह ही बैंक के एग्जाम होते हैं इसमें केवल ख्ख्भ्-ख्भ्0 रुपए ही लिए जाते हैं। एग्जाम में लगभग भ्ख्,000 स्टूडेंट ने पार्टिसिपेट किया। यानी इस एग्जाम में लोर इंडिया को फ् करोड़ भ्8 लाख रुपए मिले, जिसमें लगभग ख् करोड़ रुपए शुद्घ मुनाफा है।

गड़बड़ी का खामियाजा स्टूडेंट को

अयोग्य कंपनी को मनमर्जी से काम देने का खामियाजा स्टूडेंट्स को झेलना पड़ रहा है। कंपनी के गड़बड़झाले से स्टूडेंट्स को क्या-क्या प्रॉब्लम हो रही है, वह इस तरह है-

क्। एग्जाम में क्म् सवाल ही गलत आए। जिसे सीएनएलयू ने खुद स्वीकार किया है।

ख्। फ्79 एनआरआई स्पांसर्ड सीट थी जो बिना किसी सूचना के लगभग 700 से अधिक कर दी गई है। यानी जो पैसा देगा वह देश के नामी संस्थान में पढ़ सकता है।

फ्। कंपनी के पास एक्सपीरिएंस नहीं होने के कारण मेरिट लिस्ट सही तरीके से तैयार नहीं की गई। वह आज भी बदल रही है।

ब्। 9 सवाल ऐसे है जिसे चैलेंज किया जा सकता है।

भ्। अगर इन गलत सवालों को रदद कर दिया जाए तो मेरिट लिस्ट पूरी बदल जाएगी।

फोन नहीं उठाया

इस पूरे मामले को लेकर को- आर्डिनेटिंग यूनिवर्सिटी सीएनएलयू है। इस गंभीर मामले को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने संस्थान का पक्ष जानने का प्रयास किया। लेकिन बार- बार फोन करने पर भी रजिस्ट्रार एसपी सिंह से संपर्क नहीं हो सका।

पूरे मामले को लेकर आरटीआई से खुलासा हो चुका है। सबसे बड़ी बात है कि एक अयोग्य कंपनी से पूरी परीक्षा का संचालन कराया गया। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

- मोख्तार राज्य अध्यक्ष आइसा