- पादरीबाजार और पैड़लेगंज बीच आबादी में बना दिया टेंचिग ग्राउंड

- नियमों की अनदेखी कर दिन में गिरा रहे कूड़ा

GORAKHPUR : जिन पर सिटी को ग्रीन और क्लीन बनाने की जिम्मेदारी है, वही इस सिटी को गंदा करने में कोई कर नहींछोड़ रहे हैं। इन्होंने बीच शहर में कूड़ा दान बना दिया है। यह कूड़ा सिटी की सूरत और बदसूरत तो कर रही रहा है साथ ही शहर की आब ओ हवा में जहर घोल रहा है। जब पब्लिक विरोध करती है तो कुछ दिन तो ठीक रहता है, उसके बाद फिर गंदगी का आलम हो जाता है।

पैड़लेगंज डंपिंग ग्राउंड

लखनऊ-गोरखपुर हाइवे पर बने इस डंपिंग ग्राउंड से मात्र ख्0 मीटर की दूरी पर घनी आबादी है। यहींपर बेतियाहाता, गोलघर, सिविल लाइंस, मोहद्दीपुर का कूड़ा गिराया जाता है। डेली क्0 से ख्0 ट्राली कूड़ा गिरने के बाद यहां से निकलना दूभर हो जाता है। जब हवा चलती है तो घरों के अंदर बैठे लोग नाक पर हाथ रखने को मजबूर हो जाते हैं।

जेलबाइ पास पर बना दिया कूड़ादान

जेलबाइ पास पर बीच बीच आबादी कूड़ा गिराया जा रहा है। जबकि वहां से मात्र क्0 मीटर की दूरी पर घनी आबादी है। यहां दो हिस्से में कूड़ा गिराया जाता है। एक पादरी बाजार पुलिस चौकी के पास, दूसरा जेल के पीछे पुलिया से शुरू होता है। यह डंपिंग ग्राउंड ख्0 मीटर लंबा है। यहां से डेली हजारों लोग गुजरते हैं। यहां से गुजरने वाले अपने नाक पर हाथ रखने को मजबूर होते हैं।

यह हाल है सिटी के दिल का

गोलघर को गोरखपुर सिटी का दिल कहा जाता है, लेकिन जीएमसी इस दिल को सड़ाने में लगा हुआ है। डेली दो से तीन ट्रक कूड़ा सिनेमा रोड पर गिराया जा रहा है। हालत यह है कि यहां से लोग गुजरते समय नाक बंद कर लेते हैं। इस कूड़ा का उठाने का सुबह 9 बजे तक आदेश है, लेकिन हकीकत यह है कि क्ख् बजे तक कूड़ा उठता ही नहीं है। कई बार तो दो-दो दिन तक कूड़ा उठता ही नहीं है।

रोड को बना दिया कूड़ादान

सफाईकर्मियों की लापरवाही के कारण लालडिग्गी पार्क के बगल से गुजरने वाली सड़क कूड़ादान बन गई है। यहां आधुनिक कूड़ा पड़ाव केंद्र बना है। यहां कूड़ा गिराना मना है, लेकिन कर्मचारी हैं कि मानते ही नहीं। कर्मचारी ठेले से बाहर ही कूड़ा गिरा देते हैं। दोपहर तक कूड़ा सड़क पर फैल जाता है।

शहर को बना दिया कूड़ादान

बाले मियां मैदान को भी जिम्मेदारों ने डंपिंग ग्राउंड बना दिया है। यहां जाफरा बाजार, तिवारीपुर, सुरजकुंड, अंधियारीबाग, दुर्गाबाड़ी का कूड़ा गिराया जाता है। यह टैंचिंग ग्राउंड आबादी से दूर तो है। यहा राप्ती नदी को प्रदूषित कर रहा है, क्योंकि जब बारिश होती है यह कूड़ा नदी में बह जाता है। राप्ती नदी को एक डंपिंग ग्राउंड दूषित कर है। यह है सिटी महेवा का सबसे बड़ा डंपिंग ग्राउंड। यह भी राप्ती को गंदा करने में कोई कसर नहींछोड़ रहा है। यहां ट्रांसपोर्ट नगर, बक्शीपुर, घंटाघर, मियां बाजार, धर्मशाला बाजार आदि एरिया का कूड़ा गिराया जाता है।

सिटी में है ब्ख् कूड़ादान

सिटी में ब्ख् जगह छोटे-छोटे कूड़ा पड़ाव केंद्र बने हैं। जहां मोहल्ले का कूड़ा ठेले से एकत्रित होता है और यहां से बड़ी गाडि़यों में भर कर कूड़ा टैंचिंग ग्राउंड पर ले जाया जाता है।

कूड़ा पड़ाव केंद्र बनाने का नियम

-आबादी से कम से कम एक किमी दूर टैंचिंग ग्राउंड होना चाहिए।

- मेडिकल वेस्ट, मंडी का कूड़ा और सामान्य कूड़ा के निस्तारण अलग-अलग होना चाहिए

- कूड़ा सुबह नौ बजे के पहले गिरना चाहिए और इस पर केमिकल का छिड़काव होना चाहिए

-कूड़ा खुले में ले जाना सख्त मना है।

भ् जोन में बांट कर होती है सफाई

-जीएमसी ने सिटी को पांच जोन में बांट है।

-हर जोन में क्ब् वार्ड हैं।

ये हैं पांच जोन

फ‌र्स्ट जोन सिविल लाइंस, सेकेंड जोन गोरखनाथ, थर्ड जोन उर्दू बाजार, फोर्थ जोन मियां बाजार और फिफ्थ जोन तिवारीपुर। प्रत्येक जोन के लिए एक सफाई निरीक्षक है और पांच वार्ड पर एक सुपरवाइजर की जिम्मेदारी है।

डेली म्00 मीट्रिक टन निकलता है कूड़ा

सिटी में हर रोज करीब म्00 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इसके निस्तारण के लिए जीएमसी के ब्8क् नियमित कर्मचारी, ख्8ख् कैजुअल और क्क्म्ब् कर्मचारी ठेके पर काम करते हैं।

यहां मत जाना यहां विषैली गैस फैली है

पैडलेगंज, जेल बाईपास, महेवा बंधे से लगा ट्रांसपोर्ट नगर का एरिया सिटी का सबसे खतरनाक एरिया है, क्योंकि यहां की हवा में

कार्बन डाई आक्साइड, मिथेन और सल्फर डाई आक्साइड जैसी गैस पनप रही है। यूनिवर्सिटी के कमिस्ट्री डिपार्टमेंट के एचओडी सीपीएम त्रिपाठी का कहना है कि जिस एरिया में यह कूड़ा गिराया जाता है वहां से फ्00 मीटर के दायरे में विषैली गैस रहती है। यह गैस नरवस सिस्टम पर बहुत खराब असर डालती है।

बीच आबादी कूड़ादान के साइड इफेक्ट

- बदबू के कारण सांस लेने में दिक्कत

- आसपास के इलाकों का ग्राउंड वाटर लेवल दूषित हो जाता है

- ऐसे एरिया में रहने से मानसिक रोग हो सकते हैं।

- पेट से संबंधित बीमारियां भी अधिक होती है

सालिड वेस्ट मैंनेजमेंट का अफसरों की लापरवाही के भेंट चढ़ गया तो सिटी को सड़ने से कोई नहीं रोक सकता है।

विपिन कुमार, महेवा

सबसे अधिक परेशानी जब होती है जब हवा चलती है। कूड़े से उठने वाली बदबू के कारण घरों में भी रहना मुश्किल हो जाता है।

रमन श्रीवास्तव, पैडलेगंज

बीच आबादी कूड़ा निस्तारण नहीं होता है, अगर ऐसा है तो इसकी जांच होगी। जो ड्राइवर कूड़ा कहींभी देते हैं उन्हें प्वाइंट आउट किया जाएगा।

अरूण कुमार, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, जीएमसी

बीच आबादी छोट-छोटे कूड़ा पड़ाव केंद्र बने हैं। यहां से डेली रूटीन में कूड़ा उठ जाता है। डंपिंग ग्राउंड बनने की बात है तो उसकी जांच कराउंगा।

राजेश कुमार त्यागी, म्यूनिसिपल कमिश्नर