-फाउंडेशन एक्सपर्ट डॉ। हांडा ने अपने रिसर्च को साझा करते हुए बताया

-आरकोन में शिरकत करने आए हैं डॉ। हांडा

आगरा। पॉल्यूटेड यमुना ताज को नुकसान पहुंचा रही है। इसके लिए यमुना में साफ पानी होना जरूरी है। ये बातें आईआईटी रुड़की के रिटायर्ड प्रोफेसर और फाउंडेशन एक्सपर्ट डॉ। एससी हांडा ने कहीं। वह शनिवार को संजय प्लेस स्थित होटल हॉलिडे इन में वास्तु कला पर आयोजित दो दिवसीय कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आईआईटी रुड़की द्वारा 2001 में ताज की फाउंडेशन पर रिसर्च की गई थी। बताया कि बादशाह शाहजहां ने उस जमाने में चार करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च करके इस बेमिसाल इमारत को बनवाया था। ताजमहल बनाने वालों ने उसकी फाउंडेशन को 60 फीट गहरे कुएं में पत्थर और कंकड़ की परत बनाकर इसको बनाया है। इसके ऊपर साल की लकड़ी के ब्लॉक्स लगे हैं। इसकी नींव बेजोड़ है। लेकिन यमुना का गंदा पानी इसके लिए खतरनाक है।

यमुना को साफ करना होगा

डॉ। हांडा ने कहा कि यमुना नदी ताज के पास पहुंचते-पहुंचते सीवरेज में कनवर्ट हो जाती है। इसका गंदा पानी ताज को नुकसान पहुंचा रहा है। ताज के पास यमुना में साफ पानी का बहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ताज के पास यमुना में अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम चैकडेम लगने चाहिए। इससे यमुना में ताज के पास यमुना में साफ पानी रहेगा। दूसरा रास्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि ताज में जो पीछे एएसआई ने घास लगाई है, वहां पर एक दीवार बनाकर उसमें साफ पानी भर देना चाहिए और उसे हर महीने पानी को चेंज करते रहना चाहिए।

ताज को है पॉल्यूशन से थ्रेट

डॉ। हांडा ने कहा कि ताज को पॉल्यूशन को खतरा है। इसे कम करना ही होगा। उन्होंने कहा कि हवा में मौजूद कार्बन ताज की पच्चीकरी में बैठ जाता है और मार्बल को नुकसान पहुंचाता है। यमुना आगरा तक आते-आते नाले के समान रह जाती है। ताज के पीछे बहता गंदा पानी इसे नुकसान पहुंचाता है। पहले हमने देखा भी कि गोल्डीसाइक्रोनोमस नामक कीड़े ताज के मार्बल को नुकसान पहुंचा रहे थे। बाद में ताज पर मड पैक अप्लाई किया। लेकिन डोम पर मड पैक लगाना अभी बाकी है। इसे रोबोटिक टेक्निक से आसानी से लगाया जा सकता है। लेकिन ये टेक्निक अभी इंडिया में नहीं है।

यदि ताज में दीमक तो फाउंडेशन को नुकसान

उन्होंने कहा कि ताज में यदि दीमक है तो इससे ताज की फाउंडेशन पर गहरा नुकसान होगा। क्योंकि ताज की नींव में साल की लकड़ी के ब्लॉक्स लगे हैं। यदि दीमक इन लकड़ी के ब्लॉक्स में लग गई तो ये ताज के लिए खतरा साबित हो सकता है। डॉ। हांडा ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया की कंपनी ने एंटी टरमाइट बैटिना टेक्निक विकसित की है। इसका यूज गोल्डन टेंपल में किया गया है। इस टेक्निक से दीमक पूरी तरह से खत्म हो सकती है।

आईआईटी और एनआईटी करें रिसर्च

डॉ। हांडा ने कहा कि रिसर्च से स्मार्ट सिटी और ताज दोनों के कई प्रॉब्लम्स सॉल्व हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि एडमिनिस्ट्रेटिव अथॉरिटीज के पास लिमिटेड टेक्निक हैं। इसलिए गवर्नमेंट को आईआईटी और एनआईटी जैसे प्रीमियम इंस्टीट्यूट्स को इन पर रिसर्च करने के लिए कहना चाहिए।