एसआईटी की कवायद को पलीता लगा रहे पुलिस और पूर्ति विभाग

अभी तक नहीं हुए एक भी सरकारी राशन विक्रेता गिरफ्तार

Meerut। गरीब के निवाले की सौदेबाजी करने वाले मेरठ के 149 सरकारी राशन डीलरों पर मुकदमा दर्ज होने के 2 माह बाद भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। वहीं दूसरी ओर गिरफ्तारी में टालमटोल से स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) की कवायद मिट्टी में मिल रही है। पूर्ति विभाग से मिलीभगत कर राशन डीलर कालाबाजारी के साक्ष्यों को खुर्द-बुर्द करने में जुटे हैं। ई-पॉश मशीनों से छेड़छाड़ की शिकायतों पर भी पूर्ति विभाग मौन है। रसद और खाद्य विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर सत्यदेव ने बताया कि राशन डीलरों के खिलाफ विभाग ने मुकदमा दर्ज करा दिया है, लेकिन गिरफ्तारी पुलिस को करनी है। मंडल के सभी जनपदों के डीएसओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे केसेज को फॉलो करें।

नहीं हो रही गिरफ्तारी

पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ। लक्ष्मीकांत वाजपेयी की शिकायत के बाद हुई छानबीन में मेरठ समेत प्रदेश के 43 जनपदों में राशन घोटाले से पर्दा हटा था। मेरठ में 220 राशन डीलर फर्जी आधार कार्ड अटैच कर राशन की कालाबाजारी कर रहे थे। राशन की कालाबाजारी में शामिल 149 राशन डीलरों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत विभिन्न थानाक्षेत्रों में डीएम अनिल ढींगरा के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन अभी एक भी डीलर की गिरफ्तारी नहीं हुई।

सेटिंग-गेटिंग के आरोप

राशन डीलरों की गिरफ्तारी में टालमटोल पर पूर्ति विभाग और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर रद दुकानों की ई-पॉश मशीन के साथ छेड़छाड़ की शिकायत भी पूर्ति विभाग पहुंच रही हैं। ऐसे में राशन डीलरों की गिरफ्तारी न होने से भ्रष्टाचार के साक्ष्यों को खुर्द-बुर्द करने की संभावनाएं बढ़ी हुई हैं। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राशन डीलरों ने पूर्ति विभाग के साथ सेटिंग-गेटिंग शुरू कर दी है। गौरतलब है कि जनपद स्तर पर शासन के निर्देश के बाद क्राइम ब्रांच को इस गोरखधंधे के पर्दाफाश और आरोपियों की गिरफ्तारी का जिम्मा दिया गया है।