7500 वाहन शहरी सीमा के बाहर चल रहे

750 वाहन चल रहे शहर में

85 हजार लोग डेली करते हैं सफर

- ओला-उबर पर लगाम लगाने के लिए गाइड लाइन बनाकर भेजी गई शासन के पास

- कंपनियां पैसेंजर्स से नहीं वसूल सकेंगी मनचाहा किराया

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LUCKNOW: ओला-उबर की मनमानी रोकने के लिए परिवहन विभाग ने गाइड लाइन बनाकर शासन के पास अप्रूवल के लिए भेज दी है. नई गाइड लाइन के अनुसार यह टैक्सी संचालक कैंसिलेशन के नाम पर अब लोगों से मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे. इसके लिए मामूली राशि निर्धारित की जाएगी. वहीं फ्लेक्सी फेयर के नाम पर ली जाने वाली फीस भी कम की जाएगी.

रोज लगा रहे लाखों का चूना
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार ओला-उबर के साथ ही ऑन कॉल टैक्सी रोज पैसेंजर्स को लाखों का चूना लगा रही हैं. परिवहन विभाग के टोल फ्री नंबरों पर रोज इस तरह की शिकायतें आ रही हैं. कुछ दिन पूर्व कैंसिलेशन के नाम पर एक यात्री से काफी रकम वसूली गई तो उसने कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. इस मामले के सामने आने के बाद परिवहन विभाग ने गाइड लाइन बनाकर शासन के पास मंजूरी के लिए भेजी है.

मानक भी नहीं हैं पूरे
हाल ही में प्रवर्तन दस्ते ने जब ओला-उबर की चेकिंग की तो अधिकांश में मानक अधूरे पाए गए थे. कई का तो टैक्स ही नहीं जमा था. आरटीओ ऑफिस के अनुसार राजधानी में करीब 75 सौ ओला-उबर वाहन चलाए जा रहे हैं.

सुरक्षा मानकों पर भी फेल
चेकिंग के दौरान इन वाहनों में न तो डैश बोर्ड में फेयर मीटर था और ना ही जीपीएस सिस्टम. शिकायत पत्रिका भी गायब थी. जीपीएस न होने से इन वाहनों पर कंट्रोल रूम से नजर रखना भी आसान नहीं है.

चलने थे सिर्फ शहर में
ओला-उबर का संचालन शहरी सीमा में ही किया जाना था लेकिन ये प्रदेश के बाहर तक की बुकिंग लेकर चल रही हैं. सबसे ज्यादा ओला-उबर कानपुर के लिए चलाई जा रही हैं. वहीं आरटीओ ऑफिस में सिर्फ 750 ओला-उबर का रजिस्ट्रेशन है. वहीं पूरे यूपी का रजिस्ट्रेशन कराकर 7500 ओला-उबर चलाए जा रही हैं.

ऑन कॉल टैक्सी के लिए नियमावली तैयार हो गई है. संबंधित कंपनी के एक व्यक्ति को इसके लिए उत्तरदायी बनाया जाएगा. सुरक्षा मानकों को पूरा ना करने वाले वाहनों को बंद किया जाएगा. पैसेंजर्स से निरस्तीकरण और फ्लेक्सीफेयर के नाम पर होने वाली लूट बंद की जाएगी.

अनिल मिश्रा, उप परिवहन आयुक्त

परिवहन विभाग

नियम तो यह कहते हैं

- डैशबोर्ड पर ड्राइवर और संचालक की डिटेल फोटो के साथ होनी चाहिए.

- ड्राइवर का वेरीफिकेशन पुलिस से कराना जरूरी है.

- रेडियो टैक्सी का संचालन सीएनजी से शहरी सीमा में होना है.

- इनमें गर्मी में एसी और सर्दी में हीटर की सुविधा होनी चाहिए.

- डैशबोर्ड पर इलेक्ट्रॉनिक फेयर मीटर की सुविधा हो जो पीछे बैठे यात्री को स्पष्ट दिखे.

- जीपीएस सिस्टम भी सभी वाहनों के लिए अनिवार्य किया गया है. कंट्रोल रूम से इन पर नजर रखने के लिए इसकी व्यवस्था की गई है.

- फ्रंट पैनल पर मोबाइल रेडियो होना चाहिए.

नोट- अधिकतर वाहनों में ये चीजें मौजूद नहीं हैं.

नई गाइड लाइन के नियम

- बुकिंग का तरीका एक होगा. (इसमें एक एप और एक मोबाइल नंबर होगा.)

- प्रति किमी निर्धारित किराया ही लिया जाएगा, वह भी जहां से पैसेंजर का सफर शुरू होता है.

-फ्लेक्सी फेयर का समय प्रति दिन शाम को तीन या चार घंटे का होगा.

- इसमें भी निर्धारित किराए से 25 से 50 रुपए ही ले सकेंगे.

- सहालग और त्योहारों में कोई फ्लैक्सी फेयर नहीं लिया जाएगा.

- ड्राइवर की वर्दी पर नेम प्लेट मोबाइल नंबर के साथ.

- पैसेंजर्स की शिकायत दूर करने के लिए ऑनकॉल एजेंसी से एक व्यक्ति को नामित किया जाएगा तो परिवहन विभाग के टच में रहेगा.

- शहर के बाहर चलने वाले वाहनों को टै्रवेल्स के नियमों में चलना होगा.

- यात्रियों की सुरक्षा के मानकों को हर हाल में मानना होगा.

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क्या नई गाइड लाइन ओला-उबर की मनमानी रोकने में कारगर साबित होगी?