वाशिंगटन (आईएएनएस)। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अमेरिका जम्मू-कश्मीर में होने वाली हर एक घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस ने कुछ कश्मीरी नेताओं की नजरबंदी की रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त की है और उन्होंने भारत से व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान और प्रभावित लोगों से बातचीत करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा अमेरिका ने भारत-पाक से नियंत्रण रेखा (LOC) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की भी अपील की है।

भारत ने बताया आंतरिक मामला

ऑर्टागस ने अपने बयान में कहा, 'हम जम्मू और कश्मीर राज्य की घटनाओं पर बारीकी से गौर कर रहे हैं। हमने जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में तब्दीली की भारत की घोषणा और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने की योजना को संज्ञान में लिया है। भारत सरकार ने इस कार्रवाई को एक आंतरिक मामला बताया है। हम गिरफ्तारी की रिपोर्टों से चिंतित हैं और अनुरोध करते हैं कि जम्मू-कश्मीर में व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान किया जाए और वहां प्रभावित समुदाय से बातचीत करके सभी मसले को सुलझाया जाए। हम सभी पक्षों से एलओसी पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील करते हैं।' इसके अलावा अमेरिका की एक मीडिया समूह ने भारत से कश्मीर में इंटरनेट और संचार सेवाओं को फिर से बहाल करने का आग्रह किया है, जिसे घाटी में लॉ एंड आर्डर को बरकरार रखने के लिए बाधित कर दिया गया था।

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दो बिल पास और एक प्रस्ताव स्वीकार

बता दें कि सोमवार को राज्यसभा जम्मू-कश्मीर को लेकर तीन बिल पेश किए। इसमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प व जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन का प्रस्ताव व जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक भी पेश किया। इस दाैरान पूरे दिन इन विधेयकों पर बहस हुई। इसके बाद शाम को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 संबंधी प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक भी पास हो गया।

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