रियलिटी चेक

मतदान केंद्रों में नहीं है महिलाओं के रुकने की बेहतर व्यवस्था

पहली बार चुनाव में महिलाओं के लिए ड्यूटी की गई अनिवार्य

पति, भाई व देवर के साथ पहुंची बूथ, रिश्तेदारों के यहां गुजारी रात

ALLAHABAD: चुनाव में महिला मतदाताओं की सुविधा को देखते हुए वोटिंग में महिला मतदानकर्मियों की ड्यूटी तो लगा दी गई, लेकिन पोलिंग बूथ पर उनके रुकने के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। रहने, सोने, खाने के अलावा नहाने-धोने की व्यवस्था का भी इन मतदान केंद्रों पर अकाल रहा। नतीजा ये हुआ कि महिलाएं बूथों पर रात रुकने में आनाकानी करती रहीं। सभी वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश करती रहीं। हालांकि, सुबह ड्यूटी पर उपस्थित रहना उनके लिए बड़ा टास्क बना रहा।

अनिवार्य हो गई महिला ड्यूटी

पिछले चुनाव तक किसी भी पोलिंग टीम में महिला का रहना जरूरी नहीं होता था। जरूरत पड़ने पर उनकी ड्यूटी काट दी जाती थी। इस बार डीएम सुहास एलवाई ने मतदान अधिकारी द्वितीय में महिलाओं की ड्यूटी अनिवार्य कर दी। यही कारण रहा कि प्रत्येक पांच लोगों की टीम में एक महिला निश्चित रूप से उपस्थित रही। यह नियम महिलाओं को भारी पड़ गया। मतदान केंद्र की व्यवस्था के बारे में सोचकर ही उनके रोंगटे खड़े हो गए।

हमने देखी बूथों की हालत

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मतदान केंद्रों की हालत देखी तो हकीकत सामने थी। कमरों में मेज कुर्सी लगा दी गई थी। लेकिन, महिलाओं के लिए न सेप्रेट सोने की व्यवस्था थी और न ही नहाने-धोने की। हमने एक के बाद एक कई बूथों का निरीक्षण किया। जानिए आप भी आखों देखा हाल-

मतदान केंद्र: प्राथमिक विद्यालय ममफोर्डगंज

बूथों की संख्या- छह

जिन कमरों में टीम को रुकना था, वहां कचरा भरा हुआ था। पेयजल के लिए एक हैंडपंप और एक महिला टायलेट था। इस पर भी ताला लगा था। पूछने पर मौके पर मौजूद बीएलओ ने बताया कि महिलाओं के लिए अलग से सोने की व्यवस्था नहीं है। जिस बूथ में टीम को रुकना है, वहीं उनके सोने की व्यवस्था की गई है।

मतदान केंद्र- उमराव सिंह स्मारक बालिका इंटर कॉलेज

बूथों की संख्या- नौ

कमरे के बाहर सफाई चल रही थी। स्टाफ ने बताया कि यहां बड़ी संख्या में बूथ हैं इसलिए तैयारी जारी है। हमने चौकीदार से पूछा कि बूथ में केवल कुर्सी-मेज रखी है। मतदानकर्मियों के सोने की व्यवस्था कहां है। उसने कहा कि यह इंतजाम उन्हें खुद करना होगा। महिलाओं के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है।

मतदान केंद्र- महबूब अली इंटर कॉलेज, स्टैनली रोड

बूथों की संख्या- पांच

यहां बताया गया कि व्यवस्था माकूल है। लेकिन महिलाओं के लिए अलग से नहाने धोने या सोने की व्यवस्था नहीं की गई है। एक व्यक्ति ने कहा कि वैसे तो महिलाएं रात में यहां रुकती कहां है? वह तो रात में किसी रिश्तेदार या अपने घर चली जाती हैं। अगर महिलाएं आती हैं तो उनको स्टाफ रूम में रुकवाया जाएगा।

मतदान केंद्र- जगत तारन गोल्डन जुबली कॉलेज जार्जटाउन

कुल बूथों की संख्या- 13

शाम चार बजे रिपोर्टर जब मतदान केंद्र पहुंचा तो सभी 13 टीमें आ चुकी थीं। पूछताछ में पता चला कि एक भी महिला साथ नहीं आई है। वह अपने परिजनों के साथ है और देर से आएगी। यहां पर भी उनके रुकने की व्यवस्था नहीं थी। टीम के सदस्य चादर-तकिया लेकर आए थे।

पत्‍‌नी की ड्यूटी, पति की मजबूरी

महिलाओं के साथ उनके पति भी रवानगी स्थल पर मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि वे रात में साथ ही रुकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन महिलाओं के लिए बेहतर या अलग से व्यवस्था करे अन्यथा परिवार के किसी सदस्य का रहना जरूरी होगा। जिन महिलाओं की दूर दराज ड्यूटी लगी थी, उनके साथ पति, देवर के अलावा भाई-भतीजे भी रवाना हुए। कई महिलाओं ने बताया कि वह रात में न रुक कर सुबह पांच से छह बजे के बीच मतदान केंद्र पर पहुंच जाएंगी।

मेरी ट्रेनिंग हो चुकी है। यहां ड्यूटी के लिए रवाना होना है। मतदान केंद्रों पर सुविधा नहीं होती, इसलिए अकेले जाने का सवाल पैदा नहीं होता। घर का कोई सदस्य जरूर जाएगा।

सारिका यादव, टीचर, कीडगंज

अगर महिलाओं की ड्यूटी लगाई जाती है तो उन्हे अलग से सुविधाएं भी मुहैया कराई जानी चाहिए। कम से कम खाने, सोने सहित नहाने-धोने की व्यवस्था तो हो।

रेखा सिंह, टीचर, जसरा

मेरे घर से मतदान केंद्र की दूरी तीस किमी है। इसलिए वहां रुकना होगा। अभी पता नहीं व्यवस्था कैसी है। साथ में मेरे पति जा रहे हैं। वह पूरी व्यवस्था देखेंगे।

विशालो सिंह, टीचर, बहादुरपुर

अब जो भी व्यवस्था होगी देखी जाएगी। ड्यूटी तो करनी ही है। प्रशासन ने पहली बार महिलाओं की ड्यूटी अनिवार्य कर दी है। टीम के साथ रवाना होना है।

सपना गुप्ता, टीचर, फूलपुर

अल्लापुर के एक स्कूल में ड्यूटी लगी है। मैं खुद बहरिया में तैनात हूं। मेरे पति साथ में हैं। प्रशासन को महिलाओं की ड्यूटी लगाने के साथ उनको बेहतर व्यवस्था भी मुहैया करानी चाहिए।

ऊषा चौरसिया, टीचर, बहरिया