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LUCKNOW : निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी और असमानता पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने बड़ी पहल की है। इसे लेकर निजी विश्वविद्यालयों के तमाम विरोध के बावजूद मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 'उप्र निजी विश्वविद्यालय अध्यादेश-2019' के प्रारूप को मंजूरी दे दी। साथ ही इसे राज्य विधानमंडल में पारित करने का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया गया है। इसके दायरे में प्रदेश के 27 निजी विश्वविद्यालय आएंगे जो अब एक नियम से संचालित किए जा सकेंगे। इससे विश्वविद्यालयों द्वारा मनमानी फीस वसूलने, यूजीसी की गाइडलाइन का अनुपालन न करने संबंधी कई अनियमितताओं को रोक लगाई जा सकेगी और स्टूडेंट्स को सस्ती और गुणवत्तापरक शिक्षा मुहैया करायी जा सकेगी। इसे निजी विश्वविद्यालयों द्वारा एक वर्ष के भीतर लागू करना होगा।

अब लागू होगा अंब्रेला एक्ट

मालूम हो कि प्रदेश के 27 निजी विश्वविद्यालय अलग-अलग अधिनियमों द्वारा स्थापित और संचालित हैं लिहाजा इनके नियम भी अलग हैं। इसकी वजह से राज्य सरकार की नीतियां इन पर लागू नहीं हो पाती है। इनसे सूचना और डॉक्यूमेंट हासिल करने, उच्च शिक्षा की क्वालिटी के मानकों को लागू करने और मॉनीटरिंग की कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं थी जो अब इस अंब्रेला एक्ट के जरिए हो सकेगी। खास बात यह है कि इस एक्ट में न्यूनतम 75 फीसद शिक्षकों की नियुक्ति परमानेंट किए जाने का प्राविधान किया गया है। लाइब्रेरी में पुस्तकों की उपलब्धता के साथ आईटी का उपयोग बढ़ाने के लिए ऑन लाइन रिसोर्सेज का प्राविधान भी किया गया है। एक्ट के दायरे में आने वाले सभी विश्वविद्यालयों पर कॉमन एकेडमिक कैलेंडर लागू किया जाएगा ताकि एडमिशन और एग्जाम एक ही समय पर हों और रिजल्ट भी एक ही समय पर घोषित किया जा सके। हालांकि मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ आदि का एकेडमिक कैलेंडर नियामक संस्थाओं के अनुसार होगा।

पब्लिक डोमेन पर देनी होगी जानकारी

अध्यादेश में स्टूडेंट्स के एडमिशन का प्रोसेस, एडमिशन की शुरुआत एवं अंतिम तिथि तथा विभिन्न पाठ्यक्रमों में निर्धारित फीस को पब्लिक डोमेन में प्रदर्शित करने की व्यवस्था भी की गयी है। साथ ही विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए मूल्यांकन समिति का स्वरूप भी स्पष्ट कर दिया गया है जिसमें छह सदस्यों को शामिल किया गया है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं प्रस्ताव के परीक्षण एवं विश्वविद्यालय द्वारा इस आशय-पत्र के संबंध में दिए गये एफिडेविट के सत्यापन के लिए दो समितियों के गठन के प्राविधान की जगह अब केवल एक बार में ही प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं प्रस्ताव के सत्यापन का प्राविधान किया गया है। अध्यादेश में संशोधन के माध्यम से नये विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्राविधान किया गया है।

सरकार से लेनी होगी अनुमति

इसके अलावा विश्वविद्यालय की शक्तियों के अंतर्गत मानद उपाधि प्रदान किए जाने से पूर्व, राज्य सरकार से अनुमोदन का प्राविधान जोड़ा गया है। कुलपति की नियुक्ति शासी निकाय के परामर्श से कुलाधिपति एवं अध्यक्ष द्वारा की जाएगी। अध्यादेश में कुलसचिव के कार्यों का स्पष्ट उल्लेख शामिल किया गया है जो पहले नहीं था। इसी तरह कार्यपरिषद की बैठक बुलाए जाने के संबंध में न्यूनतम अवधि निर्धारित कर नया प्राविधान जोड़ा गया है। साथ ही कार्यपरिषद की शक्तियों का विस्तृत उल्लेख भी किया गया है। कार्यपरिषद में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त सचिव से अनिम्न अधिकारी सदस्य होगा। विश्वविद्यालय के तीन शिक्षकों के पैनल में से राज्य सरकार एक शिक्षाविद् को सदस्य के रूप में नामांकन के लिए भेजेगी।

धोखाधड़ी और देशद्रोह पर निरस्त होगी मान्यता

अध्यादेश के मुताबिक विश्वविद्यालय में धोखाधड़ी अथवा दुर्विनियोग अथवा धन का गंभीर दुरुपयोग होने की दशा में विश्वविद्यालय की मान्यता वापस हो जाएगी। इसके तहत विश्वविद्यालय की प्रारंभिक जांच के लिए उप्र राज्य उच्च शिक्षा परिषद की संस्तुति पर किसी अधिकारी अथवा समिति को जांच अधिकारी नामित किया जाएगा। इसके अलावा यह भी प्राविधान किया गया है कि विश्वविद्यालय को यह वचन देना होगा कि किसी भी प्रकार की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त नहीं होगा और न ही परिसर के अंदर या विश्वविद्यालय के नाम पर किसी को भी ऐसा करने की अनुमति होगी। ऐसी गतिविधि पाए जाने पर इसे विश्वविद्यालय की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा और अध्यादेश के मुताबिक राज्य सरकार कानूनी कार्रवाई कर सकेगी।

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निर्बल वर्ग के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम में दस फीसद सीटों पर 50 फीसद शुल्क के साथ एडमिशन लेना होगा

- ऐसे पाठ्यक्रम जिनमें उपलब्ध सीटों का प्रतिशत एक से कम है, रोटेशन में एडमिशन देने का प्राविधान किया गया है

- नैक मूल्यांकन हर पांच वर्ष में अनिवार्य कर दिया गया है

- अध्यादेश, परिनियम, अध्यादेशों एवं रेगुलेशंस के प्राविधानों का अनुपालन कराने को उप्र राज्य उच्च शिक्षा परिषद को नोडल संस्था बनाया गया है

- परिषद को सूचना प्राप्त होने में असफल होने पर उचित कार्यवाही करने की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की शक्ति प्रदान की गयी है

- इनडाउनमेंट फंड के सृजन के तहत पांच करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गयी है।

- विश्वविद्यालय के लिए दी गयी भूमि का इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जा सकेगा।

- विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भूमि बैंक एवं वित्तीय संस्थाओं में बंधक रखी जा सकेगी पर किसी व्यक्ति को नहीं।

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