2500 शस्त्र लाइसेंस की फाइल शस्त्र अनुभाग में पेंडिंग

2014 में शस्त्र लाइसेंस पर हाईकोर्ट ने लगा दी थी रोक

1.5 साल पहले शुरू हुई थी शस्त्र लाइसेंस की प्रक्रिया

200 लाइसेंस बनाए गए हैं पिछले डेढ़ साल से अब तक

मेरठ जिला प्रशासन से मांगा गया गत डेढ़ साल में बने शस्त्र लाइसेंस का ब्योरा

शस्त्र लाइसेंस न मिलने का मामला अब मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंचा

Meerut। हथियार सुरक्षा के लिए है न कि स्टेटस सिंबल के लिए। हथियार कायदे में उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसको जान का खतरा होता है। मगर ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई भी केवल दिखावे के लिए शस्त्र लाइसेंस बनवा ले। मेरठ में पीडि़तों को शस्त्र लाइसेंस न मिलने का मामला अब मुख्यमंत्री दरबार तक जा पहुंचा है। जिसके बाद वहां से पिछले डेढ़ साल में किस-किस के शस्त्र लाइसेंस बने हैं, ये ब्योरा तलब किया जिला प्रशासन से तलब किया गया है। साथ ही ये भी पूछा गया है कि अभी कितने लाइसेंस पेंडिंग में हैं।

ढाई हजार फाइल पेंडिंग

वर्तमान में शस्त्र लाइसेंस की ढाई हजार फाइल ऐसी है, जिन पर सभी थानों और तहसील की रिपोर्ट लग गई है, मगर वह शस्त्र अनुभाग में आगे की कार्रवाई के लिए पेंडिंग हैं। लखनऊ से सख्ती के बाद प्रशासन शस्त्र लाइसेंस की सारी फाइलों की बहीखाता बनने में जुट गया है। लखनऊ से मांगी गई जानकारी के मुताबिक उन सभी लोगों का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है जिनका पिछले डेढ़ साल में लाइसेंस बनाया गया है। इस बाबत पूरी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री और गृह सचिव को भेजी जाएगी।

स्टेटस सिंबल के लिए लाइसेंस

वास्तव में स्टेटस सिंबल के लिए अब लोग शस्त्र लाइसेंस लेकर महंगे से महंगे हथियार खरीद रहे हैं। मगर जिन्हें वास्तव में लाइसेंस की आवश्यकता है उन्हें सिर्फ चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। जिसके चलते इस बार शस्त्र लाइसेंस का मामला लखनऊ तक गूंजा है। दरअसल, 2014 में शस्त्र लाइसेंस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, जिसके बाद यह रोक डेढ़ साल पहले खुल गई थी। तब से शस्त्र अनुभाग की तरफ से 200 लाइसेंस बनाए गए हैं। सूत्रों की मानें तो पिछले डेढ़ साल में मेरठ में जो भी लाइसेंस बने हैं, वह सफेदपोश लोगों की सिफारिश पर ही बने हैं।

शस्त्र लाइसेंस अपराध पीडि़त व्यक्ति को दिया जाता है या जिसको लाइसेंस की वास्तव में आवश्यकता होती है। पुलिस रिपोर्ट, एलआईयू और डीसीआरबी की रिपोर्ट आने के बाद ही शस्त्र लाइसेंस बनाया जाता है। लाइसेंस के मामले में किसी की कोई सिफारिश नहीं चलती है।

संजय पांडेय, सिटी मजिस्ट्रेट, मेरठ