- प्रमुख सचिव पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाने के मामले में आया नया मोड़

- शिकायतकर्ता ने मानसिक संतुलन खोने की वजह से आरोप लगाने की कही बात

- सीएम ने मुख्य सचिव को प्रकरण की तथ्यात्मक स्थिति बताने के दिए निर्देश

LUCKNOW:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव एसपी गोयल पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाने वाले युवक अभिषेक गुप्त ने दस घंटे तक पुलिस की हिरासत में रहने के बाद अपनी गलतियां कबूल कर लीं। उसने कहा कि एक करोड़ रुपये का कर्ज उसके लिए मुसीबत बन गया था। जिसकी वजह से उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और अपना काम करवाने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेताओं का नाम लेकर अफसरों को अर्दब में लेने लगा और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के खिलाफ रिश्वत मांगने की झूठी शिकायत कर दी। वहीं दूसरी ओर मुख्य सचिव राजीव कुमार की जांच में भी अभिषेक गुप्ता के आरोप गलत पाए गये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व विभाग के नियमों के मुताबिक सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि होने की वजह से उसे पेट्रोल पंप को नहीं दिया जा सकता था। इसी वजह से अभिषेक की फाइल निरस्त की गयी थी। ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री ने आज सुबह ही मुख्य सचिव को जांच करके रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद उन्होंने अफसरों को तलब कर लिया था।

मैं बर्बाद हो गया, सीएम से मिलना है

अभिषेक गुप्ता ने देर शाम पुलिस को दिए बयान में कहा कि 'पेट्रोल पंप के लिए ग्राम सभा की भूमि पाने को मैं प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल से मिला था जिन्होंने जिला प्रशासन से कुछ बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने फिर यह प्रस्ताव फिर जिला प्रशासन के पास कुछ अन्य बिंदुओं को स्पष्ट करने के लिए भेज दिया। इस बीच मेरी फाइल निरस्त कर दी गयी। मैंने पेट्रोल पंप के लिए एक करोड़ रुपये का लोन लिया था, जिसकी मासिक किश्त करीब एक लाख दस हजार आ रही थी। इससे मैं बर्बाद हो चुका हूं। मैं मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहना चाहता हूं'। सूत्रों के मुताबिक उसने प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री से लिखित रूप से माफी भी मांगी है। ध्यान रहे कि गुरुवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित ने अभिषेक के खिलाफ भाजपा संगठन महामंत्री के नाम के दुरुपयोग करने का मुकदमा दर्ज कराया था। दीक्षित का कहना था कि अभिषेक ने मुख्यमंत्री के विशेष सचिव शुभ्रांत शुक्ला पर संगठन महामंत्री के नाम लेकर दबाव बनाया है। इसके बाद सुबह 11 बजे पुलिस ने अभिषेक को हिरासत में ले लिया। इससे परेशान होकर उसके नाना ओमप्रकाश और उनकी बहन मुख्यमंत्री आवास आ गये और मीडिया के सामने बिलख पड़े। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े ओमप्रकाश ने बताया कि वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समय प्रचारक रहे। उन्होंने अपने नाती को बेकसूर बताया।

राजभवन में की थी शिकायत

ध्यान रहे कि अभिषेक गुप्ता ने ई-मेल से 18 अप्रैल को राज्यपाल को शिकायत भेजी थी कि हरदोई की संडीला तहसील के रैसो में एस्सार ऑयल लिमिटेड द्वारा स्वीकृत पेट्रोल पंप स्थापित किया जाना है लेकिन, पेट्रोल पंप के मुख्य मार्ग की चौड़ाई कम होने के कारण आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने के लिए उनका आवेदन प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री के स्तर पर लंबित है। राज्यपाल द्वारा 30 अप्रैल को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया जो गुरुवार को सार्वजनिक हो गया। पार्टी से जुड़ा मामला होने की वजह से भाजपा के प्रदेश मुख्यालय प्रभारी भारत दीक्षित ने लखनऊ पुलिस से जांच कराने का अनुरोध किया। उन्होंने शिकायत दर्ज कराई कि हरदोई निवासी अभिषेक गुप्ता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन व अन्य पदाधिकारियों के नाम का दुरुपयोग कर अनुचित कार्य करने का दबाव बना रहा है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री के विशेष सचिव शुभ्रांत शुक्ला के जरिए मिली है। इसके बाद देर रात हजरतगंज कोतवाली में अभिषेक गुप्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 व 500 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गयी। उसको शुक्रवार सुबह 12 बजे मीडिया से मुखातिब होना था पर पुलिस उसके इंदिरानगर स्थित आवास पहुंच गयी और पूछताछ और बयान दर्ज कराने साथ ले गयी।

अभिषेक ने बताया कि उसने एक करोड़ रुपये लोन लिया और बेरोजगारी की स्थिति में आने की वजह से उसने भाजपा के नेता का नाम लेकर दबाव बनाया। उसने लिखित स्पष्टीकरण दिया है। उसे उसके नाना को सौंप दिया गया है और अब विवेचना आगे चलेगी।

दीपक कुमार

एसएसपी

सुनियोजित साजिश के तहत पार्टी को बदनाम करने की कोशिश है। अभिषेक गुप्ता ने पार्टी पदाधिकारियों के नाम का दुरुपयोग किया है जिसकी जांच के लिए लखनऊ पुलिस को पत्र दिया गया है। मुख्यमंत्री ने भी मामले का संज्ञान लिया है।

डॉ। चंद्रमोहन

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता

भाजपा के मंत्री, सांसद और विधायक तक सरकार में बेलगाम रिश्वतखोरी की शिकायतें कर रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय तक भ्रष्टाचार पहुंच गया है। राज्यपाल तक को इस संबंध में पत्र लिखना पड़ रहा है। भाजपा सरकार के विभागीय घपलों और भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई से होनी चाहिए।

अखिलेश यादव, पूर्व मुख्यमंत्री