कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। उत्तर प्रदेश में शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 'नाथ पंथ का वैश्विक प्रदेय' विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सह वेबिनार का आयोजन हुआ। न्यूज एजेंसी एएनआई के ट्वीट के मुताबक तीन दिन चलने वाली इस संगोष्ठी का उद्घाटन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इस दाैरान सीएम योगी ने यहां पर लगी प्रदर्शनी का भी भ्रमण किया। इस अवसर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे शिक्षण संस्थान केवल ज्ञान तक ही सीमित न रहे बल्कि ज्ञान-विज्ञान की औपचारिकताओं से ऊपर उठकर अपनी परंपरा, संस्कृति और इतिहास बोध से भी जुड़ सकें। यह आज की एक बड़ी जरूरत है।

त्रिशंकु का कोई लक्ष्य नहीं होता
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि अपनी परंपरा, संस्कृति की विरासत को विस्मृत करते हुए व्यक्ति त्रिशंकु की तरह झूल तो सकता है, लेकिन त्रिशंकु का कोई लक्ष्य नहीं होता है। हमारे शिक्षा के केंद्र अगर त्रिशंकु बनकर झूलते हुए दिखाई देंगे तो वे समाज और लोगों के जीवन में परिवर्तन नहीं कर पाएंगे। साथ ही आने वाले समय में लोगों की जिंदगियां आसान नहीं रह पाएगीं। ऐसे में इस दिशा में तेजी से बदलाव की आवश्यकता है।

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