- मुख्यमंत्री ने दिया परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू करने का निर्देश

- 14 हजार करोड़ की परियोजना हाइब्रिड एनुइटी मॉडल पर होगी विकसित

lucknow@inext.co.in : पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे के बाद योगी सरकार अब बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण भी लोकसभा चुनाव से पहले शुरू करना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य इसी वित्तीय वर्ष में फरवरी तक शुरू करने का निर्देश दिया है। एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए उन्होंने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने का निर्देश दिया है। यह भी तय हुआ है कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण हाइब्रिड एनुइटी मॉडल पर किया जाएगा। इस मॉडल पर विकसित की जाने वाली प्रदेश की यह पहली सड़क परियोजना होगी। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना की अनुमानित लागत 14 हजार करोड़ रुपये है। इसमें 11000 करोड़ रुपये निर्माण लागत और 3000 करोड़ रुपये जमीन की कीमत है।

बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को विकसित करने का निर्णय

बुंदेलखंड के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए योगी सरकार ने चित्रकूट को इटावा से जोड़ने वाले बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को विकसित करने का निर्णय किया है। यह एक्सप्रेस-वे बुंदेलखंड में प्रस्तावित डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर को भी रफ्तार देगा। सात जिलों से गुजरने वाला बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे 294 किमी लंबा होगा। यह चित्रकूट से शुरू होगा और इटावा में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे से मिल जाएगा। इससे यह दिल्ली से भी कनेक्ट हो सकेगा। इसे बनाने के लिए 3400 हेक्टेयर जमीन अर्जित की जाएगी। छत्तीसगढ़ के चुनावी दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री ने रविवार रात यूपीडा के अधिकारियों के साथ बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना की तैयारियों की समीक्षा की।

भूमि अधिग्रहण शुरू करने के निर्देश

बैठक में उन्होंने चित्रकूट और महोबा के जिला प्रशासन को एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने का निर्देश दिया। वहीं बांदा, हमीरपुर, जालौन, इटावा और औरैया के अधिकारियों को 15 दिनों के अंदर भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया गया है। इन जिलों के प्रशासन को जिलेवार लक्ष्य के सापेक्ष 70 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण दो महीने में करने के लिए कहा गया है।

इसलिए पसंद किया जा रहा हाइब्रिड एनुइटी मॉडल

केंद्र सरकार सड़क परियोजनाओं में हाइब्रिड एनुइटी मॉडल को वरीयता दे रही है। इस मॉडल के तहत सरकार परियोजना लागत की 40 फीसद धनराशि विकासकर्ता को पहले पांच वर्षों में पांच समान किस्तों में अदा करती है। विकासकर्ता को बाकी भुगतान उसके प्रदर्शन और परियोजना के तहत सृजित की गईं परिसंपत्तियों के आधार पर किया जाता है। विकासकर्ता को परियोजना लागत का 60 फीसद भुगतान प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद अलग-अलग रकम की एनुइटी (वार्षिकी) के रूप में किया जाता है। इस मॉडल का फायदा यह है कि सरकार को परियोजना के निर्माण के स्तर पर लागत की 40 फीसद धनराशि ही अदा करनी पड़ती है। शेष धनराशि का इंतजाम विकासकर्ता को लोन या इक्विटी के जरिये करना पड़ता है। इस मॉडल के तहत एक्सप्रेस-वे बन जाने पर विकासकर्ता को टोल वसूलने का अधिकार नहीं होता। यह अधिकार सरकार या उसकी एजेंसी को होता है।