- विधानसभा का मानसून सत्र 11 से 17 तक, अंतिम दिन होगा मुख्यमंत्री प्रश्नकाल

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RANCHI (28 June) : झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र क्क् से क्7 जुलाई तक आहूत होगा। मुद्दों के लिहाज से इस सत्र के भी हंगामेदार होने की पूरी आशंका है। एक तरफ राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन विधेयक को सरकार के पास पुनर्विचार के लिए लौटाया है, तो दूसरी ओर विपक्षी दलों के नेता इस बिल को हर हाल में खारिज करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। जाहिर है, सत्र के दौरान भी इस बिल को लेकर हंगामा होगा ही।

क्ख् को पेश होगा अनुपूरक बजट

छह दिवसीय सत्र के दौरान राज्य सरकार वित्तीय वर्ष ख्0क्7-क्8 का प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी भी पेश की जाएगी। अनुपूरक बजट क्ख् जुलाई को पेश होगा। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने इस संदर्भ में अधिसूचना प्रकाशित कर दी है। क्क् जुलाई को पहले दिन शोक प्रकाश के साथ-साथ अन्य विधायी कार्य निपटाएं जाएंगे। वहीं, क्ख् जुलाई को प्रश्न काल के साथ-साथ वित्तीय वर्ष ख्0क्7-क्8 की प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी पेश की जाएगी। क्फ् जुलाई को प्रथम पाली में प्रश्न काल व ध्यानाकर्षण एवं दूसरी पाली में अनुपूरक व्यय विवरणी पर वाद विवाद एवं मतदान होगा। क्ब् और क्भ् जुलाई को प्रश्न काल एवं अन्य राजकीय कार्य किए निपटाए जाएंगे। जबकि अंतिम कार्यदिवस क्7 जुलाई को प्रथम पाली में मुख्यमंत्री प्रश्न काल एवं दूसरी पाली में गैर सरकारी संकल्प एवं अन्य राजकीय कार्य किए जाएंगे।

झामुमो और झाविमो का रुख होगा आक्रामक

सत्र के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा का रुख जहां एक्ट में संशोधन के खिलाफ आक्रामक होगा, तो वहीं झारखंड विकास मोर्चा अपने विधायक पर कथित रूप से फर्जी मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ आवाज बुलंद करेगा। झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव को गोड्डा में अडानी पावर के खिलाफ हुई आंदोलन के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। पार्टी मांग कर रही है कि उनके खिलाफ मुकदमा वापस लेकर सरकार उन्हें रिहा करे। हालांकि, इस बार विधानसभा में पार्टी के सिर्फ एक ही विधायक होंगे, फिर भी पार्टी कांग्रेस के सहयोग से इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद करेगी।

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दबाव बना रहे हैं कई संगठन

सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन बिल को राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने के साथ ही कई आदिवासी संगठन दबाव बनाने लगे हैं। बुधवार को केंद्रीय सरना समिति की बैठक हुई, जिसमें बिल लौटाने के लिए राज्यपाल को बधाई दी गई। कहा गया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन बिल संवेदनशील मुद्दा है और आदिवासियों के हितों के खिलाफ है, इसलिए इस बिल को रद किए जाने की मांग की गई। बैठक में मांग की गई कि आदिवासी विधायक और सांसद फिर से इस बिल को लागू नहीं करें और संशोधन को रद्द करने की बात करें। नहीं तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। दूसरी ओर आदिवासी जन परिषद ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर बिल को फिर से पारित करने की कोशिश की गई, तो उलगुलान होगा। परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट को छोड़कर राज्य के कृषि आधारित उद्योग को आगे बढ़ाए। परिषद ने भी राज्यपाल को बिल लौटाने के लिए बधाई दी।