RANCHI : एक, दो, पांच और दस का सिक्का इन दिनों हर किसी के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। बाजार में सिक्कों की तादाद कुछ इस कदर बढ़ गई है कि न तो दुकानदार इसे लेना चाह रहे हैं औ न ही कस्टमर। सिक्के के नाम से ही लोग दूर भागने लगते हैं, लेकिन जिला प्रशासन का इस मामले में अलग ही रूख है। जिला नजारत डिप्टी कलेक्टर राजेश कुमार सिंह का कहना है कि अबतक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है, जिसमें सिक्का लेने से किसी ने इन्कार किया है। लेकिन, अगर कोई सिक्का लेने से इन्कार करता है तो उसकी लिखित शिकायत दर्ज कराएं। उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाएगा।

मुंह फेर लेते दुकानदार

कभी बाजार में खुदरा का अभाव हुआ करता था। अब बाजार में एक रुपया, दो रुपया, 5 रुपया और 10 रुपए के सिक्के भारी संख्या में उपलब्ध हैं। यही वजह है कि दुकानदार सिक्कों को देखते ही मुंह बना लेते हैं। सबसे अधिक हाट बाजार में दिक्कत है। छोटे दुकानदार और फ ल-सब्जी विक्रेता सिक्के नहीं लेना चाहते हैं। सिक्कों की समस्या से सबसे अधिक प्रभावित ठेला-खोमचा वाले हुए हैं। उनके व्यापार का 50 प्रतिशत से अधिक आमदनी सिक्कों की शक्ल में होती है। कोकर में ठेले पर चार्ट बेचने वाले मनोज कुमार बताते हैं कि हमें सिक्के लेने पड़ रहे हैं, पर ना तो महाजन ना बैंक सिक्के स्वीकार कर रहे हैं। घर में सिक्के पड़े हैं। व्यापार प्रभावित हो रहा है।

एक व दो के सिक्के से ज्यादा परेशानी

रांची के कई छोटे दुकान और गुमटी में एक दो रूपए का सिक्का लेने से मना कर दे रहे हैं। पांच और दस रूपए का सिक्क तो ले लेते हैं, लेकिन छोटे सिक्के नही लेते हैं एक और दो रुपए के सिक्के न तो कस्टमर लेने को तैयार है और न ही दुकानदार। दरअसल पिछले तीन महीने से नकदी संकट चलने के कारण बैंकों के पास जितने सिक्के पड़े थे। धीरे-धीरे करके उन्होंने सिक्कों को बाजार में ला दिया है। इसलिए अब कहीं पर कोई सामान करने पर दुकानदार सिक्के जरूर पकड़ा देता है।

20 हजार जुर्माना व 7 सात की सजा का प्रावधान

आरबीआई गाइडलाइन के मुताबिक, लीगल टेंडर मनी पूरी तरह से वैध है, लोग लेनदेन में इसका खुलकर इस्तेमाल करें। इसे लेने से मना करना भारतीय मुद्रा का अपमान है। नोट या सिक्का का जाली मुद्रण, जाली नोट या सिक्का चलाना और सही सिक्कों को लेने से मना करना भारतीय दंड संहिता की धारा 489 ए से 489 इ के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। इसके तहत भारतीय मुद्रा का बहिष्कार करनेवाले को 7 साल की सजा या 20000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है।