कई हाथों से सर्कुलेट होने की वजह हो सकता है इंफेक्शन

फूड विभाग संक्रमण से बचाव के लिए स्कूलों में चलाएगा कार्यशाला

Meerut। जेब में रखे हरे-भरे नोट और खनकते सिक्के आपको बीमार कर सकते हैं। एफएसएसएआई ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि करेंसी के आदान-प्रदान और हैंडलिंग ठीक तरह से न होने की वजह से इनमें खतरनाक बैक्टरिया पनपते हैं, जो संक्रमण का कारण बन रहे हैं।

स्कूलों में होंगी कार्यशाला

एफएसएसएआई ने सभी खाद्य आयुक्तों को इस संबंध में अवेयरनेस कैंप चलाने के लिए कहा हैं। जिसके तहत लोगों को फूड और करेंसी की हैंडलिंग के बारे में समझाया जाएगा। इसके अलावा स्कूलों में भी वर्कशॉप कर बच्चों को हाइजीन और सेफ्टी के बारे में जानकारी दी जाएगी। गंदे नोट और सिक्कों से होने वाला संक्रमण सबसे ज्यादा बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं पर अटैक करता है।

जारी की रिपोर्ट

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि नोट और सिक्के लोगों में बीमारी की वजह बन रहे हैं। नोटों में ई-कोलाई, स्टेफाइलोकोकस, सल्मोनेला एंट्रीटाइडिस, स्ट्रेप्टोकोकस और प्रोटियस जैसे खतरनाक कीटाणु मौजूद होते हैं। यह कीटाणु लोगों के इम्यूनिटी सिस्टम को खराब कर देता है। एफएसएसएआई के मुताबिक इस वजह से फूड पॉइजनिंग, स्किन और पेट में इंफेक्शन का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

रिसर्च में दावा

नोटों से संक्रमण को लेकर तीन रिसर्च भी जारी हो चुकी है। पहला जर्नल ऑफ करेंट माइक्रोबॉयोलॉजी और अप्लाइड साइंसेस में, दूसरा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फॉर्मा एंड बॉयो साइंसेस और तीसरा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस रिसर्च में छपा है। इनमें लिखा है कि करेंसी पर विषाणु होते हैं, जो संक्रमण फैलाते हैं। इनसे यूरिन, सांस, स्किन इंफेक्शंस, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम, सेप्टीकेमिया और पेट संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। यह सभी अध्ययन 2016 में कराए गए हैं।

इन बातों का रखें ख्याल

बाहर कुछ भी खाने से पहले फूड वेंडर्स को ग्लब्स पहनने के लिए कहें।

खाने से पहले साबुन से हाथ धोएं या हैंड सेनेटाइजर का प्रयोग करें।

पैसों के लेन-देन से पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं।

नोटों को गिनने के दौरान थूक का प्रयोग न करें।

करेंसी हैंडलिंग के दौरान उसमें कीटाणु पैदा हो जाते हैं जो लोगों को बीमार कर सकते हैं। इस संबंध में हम जल्द ही स्कूलों में अवेयरनेस कैंप लगाएंगे। हाइजीन को लेकर स्कूलों में कई कैंप लगाए भी जा रहे हैं।

अर्चना धीरान, डीओ, फूड विभाग