छात्र संघ चुनाव नजदीक आते ही छात्र संगठनों के चुनावी मुद्दे आने लगे सामने

एबीवीपी कर रही सेमेस्टर सिस्टम का विरोध, एनएसयूआई ने टीचर्स की कमी को बनाया मुद्दा

देहरादून,

छात्र संघ चुनाव नजदीक आते ही छात्र संगठनों ने अपने-अपने मुद्दों को छात्रों के बीच रखना शुरू कर दिया है। छात्र संघ चुनाव नजदीक आते ही छात्र संगठनों ने अपने-अपने मुद्दों को छात्रों के बीच रखना शुरू कर दिया है। एबीवीपी जहां सेमेस्टर सिस्टम को खत्म करने को लेकर विरोध कर रही है, वहीं एनएसयूआई लगातार कॉलेजों में टीचर्स की कमी को लेकर आंदोलन कर रही है। इसके लिए समय-समय पर छात्र संगठन पुतला दहन से लेकर तालाबंदी के कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

एबीवीपी ने मंत्री का पुतला फूंका

सैटरडे को डीएवी कॉलेज गेट पर एबीवीपी की ओर से सेमेस्टर सिस्टम के विरोध में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ। धन सिंह रावत का पुतला दहन किया गया। एबीवीपी के जिला संयोजक सानू मिश्रा के नेतृत्व में स्टूडेंट्स ने राज्य सरकार और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ। धन सिंह रावत के खिलाफ नारेबाजी की और सीटें बढ़ाने की मांग करते हुए पुतला फूंका। इसके बाद एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने पूरे डीएवी पीजी कॉलेज परिसर में रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन भी किया। इधर एनएसयूआई ने डिग्री कॉलेजों में टीचर्स की कमी के मुद्दे को लेकर छात्रों को अपने पक्ष में करने की कोशिश शुरु कर दी है। एनएसयूआई दून में 27 अगस्त को तालाबंदी कर विरोध दर्ज कराएगी। जिला अध्यक्ष सौरभ मंमगाई ने बताया कि एनएसयूआई द्वारा पूर्व में टीचर्स की कमी को दूर करनें के लिये उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत को ज्ञापन भेजा गया था, जिसके बाद उनके द्वारा आश्वासन दिया गया था की कॉलेजों में टीचर्स व संसाधनों की कमी को दूर किया जायेगा लेकिन नया सत्र 2019 शुरू होने के बाद भी उनके द्वारा दिये गये आश्वासनों को पूरा नहीं किया गया जिस कारण स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में है।

------

फ्लैश बैक

1986 से वोटिंग के अगले दिन काउंटिंग

छात्र संख्या के लिहाज से स्टेट का सबसे बड़ा कॉलेज डीएवी पीजी कॉलेज 1948 में अस्तित्व में आया। डीएवी शुरुआत से ही छात्र राजनीति का प्रमुख केन्द्र रहा है। डीएवी में 1986 में हुए छात्र संघ चुनाव सबसे दिलचस्प चुनाव रहा। जब प्रदीप जोशी और वेदिका वेद के बीच एक वोट का हार जीत का अंतर हुआ। देर रात तक मतगणना चली, दोनों के बीच मुकाबला टाई रहा। कॉलेज प्रबंधन ने तय किया कि दोनों ही प्रत्याशी 6-6 माह अध्यक्ष पद पर काम करेंगे। तब से हार जीत का अंतर बढ़ता रहा। 2007 में सबसे ज्यादा 3 हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से एबीवीपी प्रत्याशी जीता। डीएवी के वर्तमान चीफ प्रोक्टर मेजर अतुल सिंह ने बताया कि 1986 के बाद से यह तय किया गया कि डीएवी में पहले दिन वोटिंग होगी, अगले दिन काउंटिंग। इससे कॉलेज में होने वाले मतदान और काउंटिंग का कार्य आसानी से हो पाएगा। डीएवी में वोटिंग का टाइम पूरा होने के बाद भी कई बार स्टूडेंट्स की लाइन जुटी रहती है। ऐसे में काउंटिंग अगले दिन की जाती है।