-वर्षो से एक ही बिल्डिंग में यूजी और पीजी की पढ़ाई होने से नैक ग्रेडिंग पर होगा असर

PATNA: पटना यूनिवर्सिटी के कई कॉलेजों में नैक की ग्रेडिंग का काम हो चुका है, अब बारी पटना साइंस कॉलेज की है। नैक की टीम की विजिट है और इसे लेकर तैयारी का दावा पटना साइंस कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है। चूंकि इसके किसी भी कॉलेज को 'ए' ग्रेड नहीं मिला है तो पटना साइंस कॉलेज की ग्रेडिंग के उपर अपेक्षाओं का बड़ा बोझ है। लेकिन बहुत पहले और अब की स्थिति में नैक ग्रेडिंग के लिए तकनीकी पक्ष में मजबूती के लिए कोई प्रयास नहीं किये गये और अब तैयारी नहीं ग्रेडिंग पाने का वक्त है। यदि दो बातें इस प्रतिष्ठित कॉलेज के पक्ष में हैं तो चार बातें इसके विपक्ष में हैं।

प्रयास कितने कारगर ?

इस सवाल का जबाव भी फिलहाल किसी के पास नहीं है। ऐसे में इस बात को लेकर चिंता बढ़ गई है कि क्या ए ग्रेड मिलना आसान है, या इसके लिए तात्कालिक प्रयास पर्याप्त हैं? इस सवाल का जबाव किसी के पास नहीं है। हाल के दो -तीन महीनों में कॉलेज की रंग-रोगन, इंफ्रास्ट्रक्चर मेनटेनेंस और पेपर वर्क पर काम तेज किया गया। इसमें अब तक के प्रकाशित रिसर्च जर्नल और यहां के शिक्षकों की उपलब्धियों का विवरण तैयार किया गया है। लेकिन यह आने वाला समय ही बताएगा कि नैक की ग्रेडिंग इस तैयारी पर कितना अंक देगा।

36 शिक्षक हैं कम

नैक की ग्रेडिंग के लिए इसकी टीम के विजिट से पहले ही कॉलेज प्रशासन इस समस्या से परेशान है। एक लंबे अर्से से यहां के शिक्षक रिटायर हो रहे हैं। वर्तमान स्थिति में कुल सैंक्शंड पोस्ट में दस में से दस प्रोफेसर के पद भले ही फुल हैं लेकिन एसोसिएट प्रोफेसर के 36 शिक्षकों की कमी है। महज एक साल में दस से अधिक शिक्षक रिटायर हो चुके है इसमें डॉ राधाकांत प्रसाद, राम जतन सिन्हा सहित अन्य नाम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कॉलेज में डेवलपमेंट फंड की भी कमी है। क्योंकि यहां अब ग‌र्ल्स कैंडिडेट्स से फीस नहीं ली जाती है। जबकि जनरल फीस को बढ़ाने का विरोध कई बार किया गया है और यह आज भी बहुत कम है। इस तरह से डेवलपमेंट वर्क प्रभावित हो रहा है। साथ ही प्रकाशित रिसर्च जर्नल का कम्पाइलेशन की कमी है।

अपने स्तर पर जहां तक संभव है कॉलेज प्रशासन ने वह सब कुछ करने का प्रयास किया है। रिसर्च जर्नल की लिस्ट भी बनाई गई है। कुछ कमियां है जिसे आने वाले समय में दूर कर लिया जाएगा।

-प्रो। केसी सिन्हा, प्रिंसिपल पटना साइंस कॉलेज