उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश मंडल में लागू

कमिश्नर ने निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए बनाई 6 सदस्यीय कमेटी

Meerut। कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार ने मंगलवार को स्कूल कॉलेजों की फीस बढ़ोतरी पर 6 सदस्यीय कमेटी बनाकर शिकंजा कसने की तैयारी कर दी है। शासन के निर्देश पर उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश 9 अप्रैल से प्रभारी हो गया है तो वहीं अध्यादेश के अनुपालन के मद्देनजर मंडल मुख्यालयों को कमिश्नर को कमेटी के गठन के निर्देश दिए गए हैं। यह कमेटी स्कूलों की फीस का निर्धारण करेगी।

दी जानकारी

कमिश्नरी सभागार में प्रेसवार्ता के दौरान कमिश्नर ने बताया कि कमेटी में सीए अमरेश वशिष्ठ, इंजीनियर देवेंद्र बालियान, फाइनेंस कंट्रोलर अवध नारायण सिंह, डॉ पुनीत भटनागर, सेंट जोन्स की प्रिंसिपल चंद्रलेखा जैन शामिल हैं। इस कमेटी में निर्णय 1/2 भाग का कोरम पूरा होने पर वैध माना जाएगा। फीस का स्ट्रक्चर इस प्रकार है।

यह हैं निर्देश

रजिस्ट्रेशन फीस, न्यू एडमिशन फीस व परीक्षा के समय एक बार ली जाएगी।

ट्रांसपोर्ट खर्चा अलग से लिया जाएगा। सिक्योरिटी फीस कंपोजिट शेष से आधी होगी, यानी 50 हजार फीस है तो 25 हजार सिक्योरिटी ले सकते हैं।

जब विद्यार्थी स्कूल छोड़ेगा तो 1 महीने के अंदर स्कूल को वह फीस में ब्याज समेत वापस करनी होगी।

स्कूल को अपनी फीस की पूरी डिटेल वेबसाइट पर पब्लिश देनी होगी। उसके बाद स्कूल फीस में बढ़ोतरी नहीं करेगा।

बिना कमेटी के अप्रूवल लिए कोई भी स्कूल किताबें ड्रेस जूते मोजे आदि के लिए अपनी किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेगा।

साथ ही 5 साल से पहले कोई स्कूल ड्रेस नहीं बदलेगा।

अवमानना पर होगी कार्रवाई

पहली बार सरकार ने इसको कोर्ट से बाहर रखा है। कमेटी की बात ना मानने पर स्कूल से 1 लाख का जुर्माना वसूला जाएगा तथा बढ़ी हुई फीस वापस करेगा। वहीं, दूसरी बार बात ना मानने पर 5 लाख का जुर्माना और फीस वापस करेगा व तीसरी बार उल्लंघन करने पर उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। सत्र शुरू होने से पहले सभी स्कूल अपनी फीस तय करेंगे और उसी के अनुरूप ही फीस ली जाएगी। प्रेसवार्ता में जेडी दिव्यकांत शुक्ल और डीआईओएस गिरजेश चौधरी मौजूद थे।