- आजम ने मुलायम के साथ की मैराथन बैठक, शिवपाल रहे मौजूद

- मुख्यमंत्री से मिलने के बाद दोबारा मुलायम के पास गये आजम

- दोनों खेमों में घोषणा पत्र और प्रत्याशियों की सूची हो रही तैयार

LUCKNOW :समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिशें कर रहे वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा सुबह से सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के आवास पर लगने लगा था। दोपहर 12 बजे तक आजम खान समेत मुलायम के तमाम करीबी नेता सुलह के फॉर्मूले पर चर्चा कर रहे थे। तभी चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस शुरू हो गयी और सबकी निगाहें टीवी पर टिक गयीं। चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही माथे पर चिंता की लकीरें उभरी और एक बार फिर सुलह की अंतिम कवायद शुरू हो गयी। आजम खान और सांसद धर्मेद्र यादव मुख्यमंत्री आवास गये, लेकिन बातचीत किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव को लेकर बढ़ते कौतूहल के बावजूद दोनों खेमों में सन्नाटा पसरा रहा और बंद कमरों में सपा का भविष्य तय होता रहा।

आजम भी नहीं करा सके मुलाकात

मुलायम के साथ सीएम अखिलेश के भी करीबी माने जाने वाले काबीना मंत्री आजम खान ने आज दोनों खेमों की बीच सुलह कराने की कवायद तो की लेकिन इस बार उन्हें भी असफलता हाथ लगी। मंगलवार को आजम के दिल्ली से वापस आने के बाद यह संभावना जताई जा रही थी कि आज वे मुलायम और अखिलेश को दोबारा एक साथ बैठाकर खुद इस मामले की मध्यस्थता कर कोई ठोस हल निकाल लेंगे। आजम ने सुबह मुलायम के घर जाकर पहले उनसे बात की। इसी बीच बदायूं से सांसद धर्मेद्र यादव भी वहां आ गये। इसके बाद मुलायम ने दोनों को अखिलेश के पास भेजा। मुख्यमंत्री आवास पर दोनों नेताओं ने अखिलेश ने करीब 45 मिनट तक सुलह के फॉर्मूले पर बात की और वापस लौट आए। इसके बाद दोबारा मुलायम के आवास पर बैठक शुरू हो गयी, लेकिन दोनों खेमों के बीच हुई बातचीत का कोई भी ब्योरा सार्वजनिक नहीं हुआ।

नेताओं की बढ़ी धड़कनें

सपा में मची रार का असर नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी पड़ने लगा है। यही वजह रही कि आजम के अलावा शिवपाल यादव, धर्मेद्र यादव, बलराम यादव, राजकिशोर सिंह, ओमप्रकाश सिंह, नारद राय, अंबिका चौधरी, गायत्री प्रजापति, आशू मलिक घंटों तक मुलायम के आवास पर चर्चा करते रहे। बाहुबली अतीक अहमद ने भी मुलायम से मिलकर इस मसले का हल निकालने की गुजारिश की। बुधवार को सियासी हलचलों को देख यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि दोनों खेमे अब अलग होकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। दिक्कत यह है कि दोनों खेमों द्वारा जारी प्रत्याशियों की सूची में करीब 85 फीसद कॉमन हैं। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग द्वारा पार्टी के सिंबल को लेकर होने वाले फैसले करने के बाद किसका पलड़ा भाी रहेगा।

मुश्किल भरे दस दिन

- 24 दिसंबर को अमर ंिसह ने लखनऊ आकर मुलायम से गठबंधन पर बात की

- 26 दिसंबर को अखिलेश ने मुलायम को अपनी पसंद के प्रत्याशियों की सूची दी

- 28 दिसंबर को मुलायम ने की 325 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी, तीन मंत्रियों के टिकट कटे

- 29 दिसंबर को अखिलेश ने भी 235 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की, जवाब में शिवपाल ने 68 प्रत्याशी और घोषित कर दिए

- 30 दिसंबर को सपा में घमासान, मुलायम ने अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी से बर्खास्त किया

- 31 दिसंबर को आजम के मध्यस्थता करने पर दोनों की बर्खास्तगी वापस, लेकिन रामगोपाल विशेष अधिवेशन बुलाने पर अड़े

- 01 जनवरी को विशेष अधिवेशन में मुलायम को हटाकर अखिलेश सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया, मुलायम ने अधिवेशन को असंवैधानिक बताया, रामगोपाल को फिर किया बर्खास्त

- 02 जनवरी को मुलायम और शिवपाल ने चुनाव आयोग में लगायी गुहार, साइकिल सिंबल पर अपना दावा ठोका

- 03 जनवरी को मुलायम और अखिलेश के बीच तीन घंटे तक बातचीत लेकिन सुलह के फार्मूले पर सहमति नहीं बन सकी।