स्कूल खुलने के साथ शुरु हुआ वाहन चालकों का खेल

जिंदगी दांव पर लगाकर मासूमों को स्कूल भेज रहे पैरेंट्स

ALLAHABAD: सालों पुराने और खटारा हो चुके स्कूल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का दावा भले ही शासन और परिवहन विभाग की ओर से किया जाता हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बेहद जुदा है। जुलाई में स्कूल खुलने के साथ ही कबाड़ हो चुके स्कूल वाहन फर्राटा भरते नजर आने लगे हैं।

घटनाओं से नहीं लिया सबक

कबाड़ हो चुके स्कूल वाहनों को रोड पर फर्राटा भरते देखने के बाद भी आरटीओ विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। जबकि ऐसे वाहनों को स्कूलों में संचालित करने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इस बारे में मुख्यमंत्री की तरफ से निर्देश जारी किया गया है। एआरटीओ प्रवर्तन रविकांत शुक्ला ने बताया कि ऐसे वाहनों को चिन्हित कर कार्रवाई की जा रही है।

कोर्ट में लंबित है मामला

कबाड़ हो चुके स्कूल वाहनों की समय सीमा को लेकर फिलहाल कोर्ट में मामला चल रहा है। एआरटीओ प्रवर्तन रविकांत शुक्ला ने बताया कि स्कूल वाहनों को 15 साल के बाद रिटायर्ड करने का प्रावधान था। सूबे में हुई घटनाओं को देखने के बाद डीएम की अध्यक्षता में मीटिंग हुई। इसमें स्कूल वाहनों की फिटनेस की समय सीमा कम कर 8 साल की गई है। यह मामला कोर्ट में है। इसलिए अभी इसे लागू नहीं किया जा सका है।

फैक्ट फाइल

- स्कूल वाहन संचालकों की तरफ से मानकों की हो रही अनदेखी

- जिले में स्कूल वाहन के रूप में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 1500

- कई स्कूल बसों व आटो की खिड़कियों में नहीं रहती सेफ्टी रॉड

- विभाग में दर्ज वाहनों की संख्या से अधिक रोड पर फर्राटा भर रहे स्कूली वाहन

- कुछ दिन तक अभियान चलाकर आंख मूंद लेता है विभाग

ऐसे वाहनों को चिन्हित करके उनके खिलाफ शीघ्र ही कार्रवाई के लिए विभाग की ओर से अभियान चलाया जाएगा।

रविकांत शुक्ला

एआरटीओ, प्रवर्तन