आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए उनका कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं हुआ है. इसलिए कांग्रेस जब चाहे, आम आदमी पार्टी की सरकार से समर्थन वापस ले सकती है.

दिल्ली में मुख्यमंत्री का पद संभालने जा रहे अरविंद केजरीवाल ने भी इसी तरह की बात की है.

दूसरी तरफ़ कांग्रेस ने समर्थन के मुद्दे पर मतभेदों के बावजूद आम आदमी पार्टी की सरकार को समर्थन देने की बात दोहराई है

'कुछ लोग ख़ुश नहीं'

इससे पहले कांग्रेस नेता जनार्दन द्विदी ने कहा है कि आम आदमी पार्टी को सर्मथन देने की बात पर कांग्रेस में मतभेद है. उनका कहना था कि कुछ लोगों का ख़्याल है कि समर्थन देना सही नहीं है.

दूसरी तरफ़ आम आदमी पार्टी के सरकार बनाने के दावे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने बयान दे दिया कि आप को समर्थन बिना शर्त नहीं है.

इसके बाद ही ये अटकलें शुरू हो गई हैं कि कांग्रेस के समर्थन से बन रही सरकार कितने दिन चल पाएगी और क्या केजरीवाल सरकार वो सब वादे पूरा कर पाएगी जो उसने जनता से किए हैं - मसलन बिजली की दर कम करना.

विश्लेषक कह रहे हैं कि बिजली की दर कम करने का मतलब होगा कांग्रेस के फैसले पर सवाल क्योंकि बिजली की दरें तो पिछली हुकूत की रज़ामंदी से ही बढ़ी थीं.

"दिल्ली सरकार कानून बना सकती है. लेकिन अब मुझे बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने कोई आदेश जारी किया है कि अगर दिल्ली सरकार कोई कानून पारित करेगी तो उसे केंद्र सरकार की अनुमति लेनी होगी. ये आदेश तो गलत है. इस बारे में हम बात कर रहे हैं."

-अरविंद केजरीवाल, नेता 'आप'

'नहीं मांगा समर्थन'

योगेंद्र यादव ने कहा, "ये हमने बार बार कहा है कि हमने समर्थन मांगा नहीं है. ये उनका अधिकार है, ये उनका निर्णय है. इसलिए हर कोई उसका सम्मान करेगा."

इससे पहले केजरीवाल ने कहा कि जिन 18 मुद्दों को उनकी पार्टी ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी को भेजे ख़त में उठाया था उन्हें विधानसभा में रखा जाएगा, जो विधायक इन पर समर्थन देने चाहते हैं, वो सामने आएं.

इन मुद्दों में वीआईपी कल्चर बंद करना, जनलोकपाल बिल पारित करना, दिल्ली में 'स्वराज' की स्थापना, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा, महिलाओं को सुरक्षा के लिए विशेष बल बनाना और झुग्गी बस्तियों में रहने वालों को पक्के मकान देना जैसी बातें शामिल हैं.

केजरीवाल ने कहा, "हमारा न किसी से गठबंधन है और न किसी से बातचीत हुई है. जो दिल्ली का विधायक हमें समर्थन देना चाहता है, वो साथ आए."

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी में किसी तरह का मतभेद नहीं है.

'नहीं कोई मतभेद'

कांग्रेस जब चाहे समर्थन वापस ले सकती है: केजरीवालदिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला

केजरीवाल ने इस बात से भी इनकार किया कि उनकी पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिन्नी मंत्रियों की संभावित सूची में नाम न आने से नाराज़ हैं. उन्होंने पार्टी में मतभेद को मीडिया की मनघडंत ख़बर बताया.

शपथ ग्रहण के लिए समाजसेवी अन्ना हज़ारे को निमंत्रण भेजने पर केजरीवाल ने कहा कि तारीख तय होने के बाद वो इस बारे में अन्ना से खुद बात करेंगे.

शपथ ग्रहण समारोह की तिथि पर केजरीवाल ने कहा कि अभी उनसे उप राज्यपाल ने कोई संपर्क नहीं किया है.

स्वराज और लोकपाल के मुद्दे पर उन्होंने कहा, "ये मुद्दा बड़ा ही दिलचस्प है, संविधान में लिखा है कि दिल्ली सरकार कानून बना सकती है. लेकिन अब मुझे बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने कोई आदेश जारी किया है कि अगर दिल्ली सरकार कोई कानून पारित करेगी तो उसे केंद्र सरकार की अनुमति लेनी होगी. ये आदेश तो गलत है. इस बारे में हम बात कर रहे हैं."

इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफ़जल ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात दोहराई है.

भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस ने भाजपा को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी से समझौता किया है.

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