- तीसरी चार्जशीट सीबीआई ने दाखिल की

- 10 आरोपियों को पाया दोषी

- 3 पुलिसकर्मी के नाम भी शामिल

- 5 सेंगर के करीबी

- सीबीआई ने उन्नाव सामूहिक दुष्कर्म कांड मे तीसरी चार्जशीट दाखिल की

- पीडि़ता के पिता को फर्जी केस में फंसाने में दस आरोपितों को पाया दोषी

- सेंगर के अलावा तीन पुलिसकर्मियों के नाम भी चार्जशीट में शामिल

तीसरे केस में चार्जशीट दाखिल
lucknow@inext.co.in
LUCKNOW : उन्नाव सामूहिक दुष्कर्म कांड में सीबीआई ने शुक्रवार को तीसरे केस में चार्जशीट दाखिल कर दी, जिसमें पीडि़ता के पिता को झूठे केस में फंसाने की साजिश रचने में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी पाया गया है। सीबीआई ने इस मामले में सेंगर समेत दस आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, जिनमें सेंगर का भाई अतुल सिंह, माखी थाने में तैनात रहे एसओ अशोक सिंह भदौरिया समेत तीन पुलिसकर्मी और सेंगर के पांच करीबी शामिल हैं। ध्यान रहे कि सीबीआई की ओर से उन्नाव कांड में दाखिल की गयी तीन चार्जशीट में से दो में सेंगर पर लगे आरोपों को सही पाया है। इससे पहले पीडि़ता के साथ दुष्कर्म के मामले में भी सेंगर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।

खाकी को किया शर्मसार
दरअसल राज्य सरकार द्वारा इस मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द किए जाने के बाद विगत 12 अप्रैल को सीबीआई ने भाजपा विधायक, उनके करीबियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ पीडि़ता के पिता को आपराधिक साजिश रचकर फर्जी केस में फंसाते हुए जेल भेजने का मुकदमा दर्ज किया था। जांच में यह साफ हो गया कि विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर द्वारा विगत चार अप्रैल को पीडि़ता के पिता को बेदर्दी से पीटा गया और बाद में विधायक ने पुलिस पर दबाव डालकर उसे आ‌र्म्स एक्ट के झूठे मुकदमे में जेल भेजवा दिया। इतना ही नहीं, उन्नाव पुलिस सेंगर के इतने प्रभाव में थी कि उसने विधायक के भाई के पाप भी अपने सिर ले लिए और मुकदमे में जिक्र कर दिया कि पीडि़ता के पिता सुरेंद्र सिंह को गिरफ्तारी के दौरान हुए संघर्ष से ये चोटें पहुंची थी। माखी थाने में तैनात एसओ अशोक सिंह भदौरिया सुरेंद्र सिंह को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के बजाय उसी दिन जेल भेज दिया। बाद में उसे आठ अप्रैल को जेल से इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी और अंदरूनी चोटों की वजह से ज्यादा खून बहने से उसने दम तोड़ दिया।

उन्नाव पुलिस करती रही इंकार
इस मामले में उन्नाव पुलिस के साथ शासन के वे अधिकारी भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने तमाम आरोपों को नकारते हुए पुलिस की थ्योरी को ही सही माना। पीडि़ता के पिता की मौत के बाद यह मामला सुर्खियों में आया तो शासन में भी हड़कंप मच गया था। बावजूद इसके उन्नाव की तत्कालीन एसपी आरोपों को नकारती रहीं और उन्होंने शासन को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजतन सुरेंद्र सिंह की मौत के बाद भी सेंगर के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर माखी थाने पर तैनात एसओ अशोक सिंह भदौरिया, एसआई कामता प्रसाद सिंह, हेड कांस्टेबिल राजाराम शुक्ला, कांस्टेबल लक्ष्य कुमार शुक्ला, अशोक सेन, मोहित कुमार को सस्पेंड कर दिया गया था। बाद में सीबीआई ने जब अपना शिकंजा कसा तो पीडि़ता के पिता के खिलाफ झूठा मुकदमा लिखवाने वाले टिंकू सिंह ने सरेंडर कर दिया और विधायक और उसके भाई की पूरी पोल खोल दी।

इनके खिलाफ दाखिल की गयी चार्जशीट
भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, विधायक का भाई जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह सेंगर, तत्कालीन एसओ माखी एसआई अशोक सिंह भदौरिया, सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद सिंह, कांस्टेबिल आमिर, शैलेंद्र सिंह उर्फ टिंकू सिंह, विनीत मिश्र उर्फ विनय मिश्र, बीरेंद्र सिंह उर्फ बउवा सिंह, रामशरण सिंह उर्फ सोनू सिंह, शशि प्रताप सिंह उर्फ सुमन सिंह।

इन धाराओं में पाया दोषी
120बी, 166, 167, 193, 201, 218 व 3/25 आ‌र्म्स एक्ट।