-सड़कों और फुटपाथ पर रखे जेनरेटर और ट्रांसफॉर्मर हटाने को हाई कोर्ट ने दिए थे आदेश

-अनुपालन न होने पर दाखिल पीआईएल पर कोर्ट ने माना कंटेंप्ट, नगर आयुक्त तलब

Meerut: शहर स्थित सड़कों और फुटपाथ पर रखे जेनरेटर और ट्रांसफॉर्मर न हटाने पर नगर आयुक्त पर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट चार्ज हो गया है। हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त के खिलाफ वाद चलाने के आदेश जारी करते हुए तीन मार्च को नगर आयुक्त को खुद उपस्थित होने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट इस निर्णय से नगर निगम में खलबली की स्थिति है।

क्या है मामला

दरअसल, शहर स्थित होटल, रेस्टोरेंट व नर्सिग होम आदि ने सड़कों और फुटपाथ पर अपने जेनरेटर व ट्रांसफॉर्मर रख अतिक्रमण को बढ़ावा दिया है। इस अतिक्रमण के विरोध में आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने 12 दिसंबर 2012 को हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि याचिका में एमडी पश्चिमांचल, नगर आयुक्त, निदेशक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व वीसी एमडीए को पार्टी बनाया गया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से सड़क व फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन इन विभागों ने कोर्ट के आदेश पर कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा।

दो बार हुआ कंटेंप्ट

हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपालन न होने पर आरटीआई कार्यकर्ता ने इस मसले पर एक मई 2015 को याचिका दाखिल किया। आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार इस पर कोर्ट ने नगर आयुक्त एसके दुबे (तत्कालीन नगरायुक्त) को फटकार लगाते हुए एक माह के भीतर कार्रवाई करने के आदेश दिए। बावजूद इसके निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब 18 दिसंबर 2015 को आरटीआई कार्यकर्ता ने फिर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया, जिस पर कोर्ट ने नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह पर न्यायालय अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 12 के अंतर्गत मुकदमा चलाने के आदेश जारी कर दिए। इसके अलावा कोर्ट ने तीन मार्च को खुद नगर आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश दिए हैं।

अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट की अवमानना की जानकारी है। इस संबंध में अधिवक्ता से वार्ता कर जवाब दाखिल कराया जा रहा है।

-उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त मेरठ