-प्रोफेसर्स का अंदरखाने चल रहा विवाद खुलकर आने लगा सामने

: आरयू के प्रोफेशनल कोर्स के एग्जाम में खुलेआम नकल के बाद अब मूल्यांकन पर विवाद छिड़ गया है। आरयू प्रशासन ने अनुभवी शिक्षकों से मूल्यांकन की कमान छीनकर प्रोबेशन पर चल रहे शिक्षकों को सौंप दी है। इससे कैंपस के प्रोफेसरों से लेकर कॉलेजों तक अंदरखाने पनप रहा आक्रोश बाहर आने लगा है। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में इसकी झलक दिखाई पड़ी है। ये शिक्षक, मूल्यांकन में धांधली की आशंका जता रहे हैं।

आरयू के सबसे सीनियर प्रोफेसर एके सरकार, प्रोफेशनल कोर्स के मूल्यांकन प्रभारी बनते थे। उनके साथ कुछ तेज तर्रार प्रोफेसरों को सहायक समन्वयक बनाया जाता था। इस बार आरयू ने एमबीए विभाग की प्रोफेसर तूलिका सक्सेना को मूल्यांकन प्रभारी बनाया है। वहीं, आशुतोष प्रिया को सहायक समन्वयक बनाया है। शिक्षक विधि जैसे संवेदनशील विषयों में इनके मूल्यांकन समन्वयक बनाए जाने पर सवाल उठा रहे हैं। क्योंकि पांच महीने पहले ही दोनों आरयू में नियुक्त हुए हैं, और प्रोबेशन पीरियड पर हैं। लॉ के शिक्षक का तर्क है कि रुविवि के मूल्यांकन का इनके पास कोई अनुभव भी नहीं है। ऐसे में सीनियर शिक्षकों को नजरंदाज कर आखिर इन्हें मूल्यांकन की कमान क्यों सौंपी गई? क्या वरिष्ठ प्रोफेसरों पर विवि प्रशासन को भरोसा नहीं है? या परीक्षा विभाग किसी विशेष रणनीति के साथ ऐसा कर रहा है? जिससे निजी कॉलेजों को लाभ पहुंचाया जा सके। बहरहाल, मूल्यांकन केंद्र पर समन्वयकों की संख्या भी चार से घटाकर दो करने की बात सामने आई है।

कोडिंग सिस्टम भी हो रहा ध्वस्त

मूल्यांकन से जुड़े एक शिक्षक ने बताया कि इस बार कोडिंग सिस्टम भी ध्वस्त है। गत वर्ष कॉपी पर जहां कहीं भी निशान या रोल नंबर लिखा होता था। उस पर स्याही लगा दी जाती थी। इस बार रोल नंबर-पहचान चिह्न वाली कॉपी केंद्र पर पहुंच रही हैं। एक शिक्षक ने बताया कि निजी कॉलेजों के छात्रों को लाभ पहुंचाया जा रहा है, जो शासन की नकलविहीन परीक्षा पर प्रश्नचिह्न है। कुछ कर्मचारी इस पूरे खेल को अंजाम दे रहे हैं।

शासन से शिकायत की तैयारी

सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में शिक्षकों ने इस पूरे खेल की शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक करने की बात लिखी है। ताकि परीक्षा-मूल्यांकन की पारदर्शिता कायम रह सके।

वर्जन

मूल्यांकन पारदर्शी तरीके से चल रहा है। सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जा रही है। लगाए गए आरोप निराधार हैं। -संजीव कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक