शोध कार्यों को बढ़ावा

देने की मुहिम वैसे तो यूनिवर्सिटी में पीएचडी कोर्स 2009 से बंद है। लेकिन पुराने स्टूडेंट्स की शोध कार्यों के प्रति रुचि को बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। अभी तक स्टूडेंट्स पुराने शोधार्थियों की थीसिस को निकलवाकर उसकी कॉपी करा लेते थे। उसे विभाग में जमा करके आसानी से डिग्री पा जाते थे। इससे स्टूडेंट्स नई रिसर्च नहीं कर पाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। वेरीफिकेशन के जाने वाली थीसिस प्लेन नहीं जाएंगीं। उन पर बार कोड डाला जाएगा। ताकि वे दोबारा रिपीट न हो सकें।

जल्द भरेंगीं खाली सीटें

शासन स्तर से कार्रवाई होने के बाद यूनिवर्सिटी की नींद खुल गई है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रिक्त पड़ी पीएचडी की खाली सीटों को भरने की कवायद शुरु कर दी है। इसके लिए विवि की वेबसाइट पर सीटों का नोटिफिकेशन डाला जाएगा। इसके बाद आवेदन आने पर मेरिट के जरिए स्टूडेंट्स को प्रवेश दिया जाएगा। इसके बाद इन स्टूडेंट्स की रिसर्च मैथेलोजी, कंप्यूटर एप्लीकेशन समेत विषयवार छह महीने तक क्लासेस लगेंगीं। इस दौरान गाइड टीचरों की विषय की गुणवत्ता की जांच भी की जाएगी।

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