बीजिंग (रॉयटर्स) चीनी वैज्ञानिकों की एक टीम ने कई एंटीबॉडीज को आइसोलेट किया है और वह शरीर के सेल्स में प्रवेश करने वाले कोरोना वायरस की क्षमता को रोकने में 'बेहद प्रभावी हैं। बता दें कि यह एंटीबॉडीज कोरोना के इलाज या रोकथाम में सहायक हो सकती हैं। हालांकि, यह उपचार प्रभावी है या नहीं इस वक्त यह साबित नहीं हो पाया है। बीजिंग में सिंघुआ विश्वविद्यालय में झांग लिनकी ने कहा कि उनकी टीम ने पाया है कि एंटीबॉडी से बनी एक दवा को कोरोना वायरस से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, इस वक्त कोरोना को लेकर जो उपचार चल रहे हैं, उनकी तुलना में वह अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं।

जनवरी की शुरुआत में शुरू किया विश्लेषण

जनवरी की शुरुआत में, झांग की टीम ने कोरोना मरीजों से लिए गए खून से एंटीबॉडी का विश्लेषण करना शुरू किया, जिसमें 206 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को आइसोलेट किया गया। इस दौरान, उन्होंने पाया कि उसमें वायरस के प्रोटीन को बाइंड करने की पूरी क्षमता है। उन्होंने इसके बाद एक और परीक्षण किया कि क्या वे वास्तव में वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सकते हैं। झांग ने बताया कि पहले 20 एंटीबॉडीज का परिक्षण किया गया तो उनमें से चार वायरल प्रविष्टि को ब्लॉक करने में सक्षम थे व उनमें से दो और अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब हुए। टीम अब सबसे शक्तिशाली एंटीबॉडी की पहचान करने और संभवतः कोरोना वायरस उत्परिवर्तन के जोखिम को कम करने के लिए उन्हें संयोजित करने पर काम कर रही है।

पहले जानवरों पर किया जाएगा परिक्षण

यदि सब कुछ ठीक से चलता है, तो इच्छुक डेवलपर्स बड़े पैमाने पर उन्हें परीक्षण के लिए निर्माण कर सकते हैं। उनका परिक्षण पहले जानवरों पर और अंत में मनुष्यों पर होगा। झांग ने कहा, 'दशकों से चिकित्सा की दुनिया में एंटीबॉडी का महत्व साबित हुआ है। उनका उपयोग कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों और संक्रामक रोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है।' बता दें कि एंटीबॉडी एक टीका नहीं हैं, लेकिन संभवतः कोरोना वायरस को अनुबंधित करने से रोकने के उद्देश्य से कम से कम जोखिम वाले लोगों को दिया जा सकता है।

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