बर्लिन (रायटर्स)Coronavirus Impact on Employment- अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ यानी इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन ने दावा किया है कि कोरोना वायरस की महामारी पूरी दुनिया में उद्योग और व्यापार जगत को बड़े संकट में डाल सकता है। उसका कहना है कि अगर दुनिया भर की सरकारों ने कोरोना वायरस के नेगेटिव इंपैक्ट से अपने यहां के कामगारों को बचाने की कोशिश तेज नहीं की तो इसके फलस्वरूप आने वाले वक्त में तकरीबन 25 मिलियन यानी करीब ढाई करोड़ रोजगार बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं। आईएलओ ने बुधवार को बर्लिन में यह बात बताई, हालांकि ILO ने यह भी कहा कि जैसे साल 2008-9 के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट से निपटने के लिए इंटरनेशनल लेवल पर तमाम प्रयास किए गए थे अगर वैसे ही प्रयास फिर से किए जाएं तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार पर पड़ने वाला दुष्प्रभाव काफी कम हो सकता है।

नौकरियों को बचाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को बचाने, नौकरियों और आय को प्रोत्साहित करने के लिए तुरंत और बड़े पैमाने पर समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया है, ताकि दुनिया भर में नौकरियों और कामगारों को सुरक्षा प्रदान की जा सके। आईएलओ ने यह भी कहा है कि छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों को वित्तीय और करों के स्तर पर छूट दी जानी चाहिए। इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा और नौकरियों को बनाए रखने पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए शॉर्ट टाइम जॉब्‍स और पेड लीव का भी प्रावधान होना चाहिए।

कोरोना का सबसे कम प्रभाव तो बेरोजगारी बढ़ेगी 5.3 मिलियन

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के डायरेक्टर जनरल गाइ रायडर ने कहा है कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी पर कोरोना वायरस महामारी के दुष्प्रभाव का आकलन करते हुए आईएलओ ने यह अनुमान लगाया है। अगर कोरोना वायरस का अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर बहुत कम प्रभाव होता है तो पूरी दुनिया में बेरोजगारी में बढ़ोतरी तकरीबन 5.3 मिलियन के आसपास होगी। जबकि उल्‍टी स्थिति में अगर कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्‍यादा बुरा असर पड़ा तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी में 24.7 मिलियन की भारी बढ़ोतरी हो सकती है।

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