कानपुर। कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत को अपने टेस्टिंग और डाइग्नोसिस फ्रेमवर्क को बढ़ाने की आवश्यकता है। ऐसे में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने टेस्टिंग कैपेसिटी और डाइग्नोसिस फ्रेमवर्क को बढ़ाने के लिए कदम उठा लिए है। इंग्लिश न्यूज वेबसाइट एचटी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ICMR ने टेस्टिंग कैपेसिटी को बढ़ाते हुए जर्मनी से वन मिलियन यानी कि 10 लाख टेस्टिंग किट्स मंगाने का ऑर्डर दिया है। इसके अलावा देश में सैंपल कलेक्शन सेंटर के अलावा टेस्टिंग नौ और लैबोरटीज को बढ़ाया गया है। सोमवार को अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने 300,000 किट होने के बावजूद मुश्किल से 9,000 लोगों का ही टेस्ट किया गया है। इसकी वजह से भारत निचले पायदान पर है।

भारत सरकार को टेस्टिंग क्राइटेरियां को बढ़ाने की जरूरत

भारत को कोरोना वायरस चुनौती से कुशलतापूर्वक निपटने के लिए एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को मरीजों की बढ़ती संख्या पर कंट्रोल करने के लिए अपने टेस्टिंग क्राइटेरियां को बढ़ाने की जरूरत है। लोगों में जागरुकता लाने की आवश्यकता है। खास कर संदिग्धों को समझाने की जरूरत है कि उन्हें अस्पताल से भागने या फिर कोरोना वायरस के लक्षणों को छुपाने की जरूरत नही है। भारत में तीन मौतों के साथ कुल कोरोना वायरस के 125 पॉजिटिव केस हैं। 13 मरीज सफलतापूर्वक ठीक भी हो गए हैं। इस वायरस ने दुनिया भर में 150,000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है। इसके अलावा इससे 6,000 से अधिक लोगों की मौत होने का दावा हो रहा है।

दक्षिण कोरिया अपनी मृत्यु दर को कम रखने में कामयाब रहा

वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया दुनिया का चौथा सबसे खराब कोरोनोवायरस-पीडि़त देश होने के बावजूद, अपनी मृत्यु दर को कम रखने में कामयाब रहा है। अब तक, देश ने 8,000 से अधिक मामलों और केवल 70 से अधिक मौतों की सूचना दी है। इसका कारण उसकी तीव्र और बड़े पैमाने पर परीक्षण रणनीति हो सकता है। हाल में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण कोरिया बड़ी तेजी से डाइग्नोसिस टेस्ट करने में सक्षम रहा है। उसने एक दिन में औसतन 20,000 से अधिक टेस्ट कराए हैं। यहां शुरुआती दौर में कोरोना वायरस रोगियों का पता लगाने और उन्हें ठीक करने के लिए इलाज मुहैया कराया जा रहा है। देश में 500 से अधिक टेस्टिंग लैबोरटीज बनी हैं।

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