भोपाल (पीटीआई) पश्चिम मध्य रेलवे के कोच रिहैबिलिटेशन वर्कशॉप (सीआरडब्ल्यूएस) ने कोरोनरी महामारी के मद्देनजर जीरो कॉन्टैक्ट की सुविधा के लिए अपने पुराने डिब्बों में से एक शौचालय का उपयोग करते हुए एक मोबाइल 'डॉक्टर बूथ' डिजाइन किया है। मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में सीआरडब्ल्यूएस ने एक पुरानी बोगी से शौचालय को एक केबिन में परिवर्तित कर दिया है, जिसका उपयोग डॉक्टरों द्वारा सीधे संपर्क में आए बिना मरीजों की जांच के लिए किया जा सकता है। सीआरडब्ल्यूएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, 'मेडिकल स्टाफ के रूप में, विशेष रूप से डॉक्टर, पीपीई किट की कमी के कारण अपने जीवन के लिए खतरे का सामना कर रहे हैं, सीआरडब्ल्यूएस में इंजीनियरों ने अप्रयुक्त रेल डिब्बों के शौचालयों को मोबाइल बूथों में बदल दिया है, जिसे कहीं भी रखा जा सकता है।'

बूथ में होगी कुर्सी

उन्होंने कहा कि बूथ में एक प्रवेश द्वार और सामने एक बाहरी ग्लास होगा, जबकि डॉक्टर विशेष रूप से डिजाइन की गई कुर्सी पर आराम से बैठ सकते हैं और सुरक्षात्मक गियर्स के साथ मरीजों की जांच कर सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि केबिन में डॉक्टरों को पर्चे लिखने, एक्स-रे और परीक्षण रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए एक टेबल भी होगा। उन्होंने कहा कि यह बूथ डॉक्टरों को बिना किसी सीधे शारीरिक संपर्क के मरीजों की जांच करने में सक्षम बनाएगा, जिससे उन्हें बिना किसी पीपीई किट के वायरल के जोखिम से बचाया जा सकेगा। अधिकारियों ने बताया कि यह बूथ मांग के आधार पर एक या दो दिन में तैयार हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि डिजाइन स्वीकृत होने के बाद केबिन की लागत और अन्य तौर-तरीके तय किए जाएंगे।

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