लखनऊ (आईएएनएस) अपने कर्मचारियों और शिक्षकों को एक साल के लिए छह श्रेणियों के भत्ते का भुगतान करने के बाद, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने सभी छह भत्तों को खत्म कर दिया है। सरकार ने सचिवालय के सभी विभागों में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए भुगतान सहित कुछ अन्य भत्तों को भी रद कर दिया। इन भत्तों को रद करने का निर्णय राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया और सोमवार को परिपत्र भेजा गया और मंगलवार को औपचारिक आदेश जारी किए गए। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त, संजीव मित्तल ने कहा, 'कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्य सरकार के राजस्व में गिरावट के बाद भत्ते को रोकने का निर्णय लिया गया है।'

जारी किए गए चार अलग-अलग आदेश

अधिकारी ने भत्तों को स्क्रैप करने के लिए चार अलग-अलग आदेश जारी किए हैं, जिसमें भविष्य निधि खातों के मेंटेनेंस के लिए एक भुगतान भी शामिल है। सरकार का लक्ष्य है कि इन भत्तों को रद्द करके प्रति वर्ष 1,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि बचाई जाए। इसने पहले 1 जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021 तक अपने कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनरों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ते और महंगाई राहत (DA/DR) को फ्रीज करने का फैसला किया गया था। इससे 2020-2021 में 10,500 करोड़ रुपये की बचत होगी। मित्तल ने कहा, 'मौजूदा परिस्थितियों में, सचिवालय के सभी विभागों में ई गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त सचिव और विशेष सचिव रैंक के दो अधिकारियों को पदोन्नति भत्ते के भुगतान का कोई औचित्य नहीं है।'

इन भत्तों को भी किया गया खत्म

इसके अलावा, जिन अन्य भत्तों को खत्म किया गया है, उनमें शहर प्रतिपूरक भत्ता (सीसीए), सचिवालय भत्ता, सीबी-सीआईडी को दिया जाने वाला विशेष भत्ता, भ्रष्टाचार विरोधी संगठन, आर्थिक अपराध शाखा, सतर्कता स्थापना, सुरक्षा और विशेष जांच विंग, सभी विभागों में जूनियर इंजीनियरों को दिया जाने वाला विशेष भत्ता, अनुसंधान भत्ता, अर्हता भत्ता, सिंचाई विभाग के साथ काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया जाने वाला भत्ता, आदि शामिल हैं।

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