पुराने का पता नहीं, फिर नए डस्टबिन खरीदने की तैयारी

62 लाख के प्लास्टिक डस्टबिन गायब हो गए थे पिछले साल

1500 प्लास्टिक डस्टबिन निगम की ओर से लगवाए गए थे

34 लाख रुपये के स्टील डस्टबिन लगवाए थे बीते साल

500 के करीब नए डस्टबिन अब निगम ने मंगवाए हैं इस बार

Meerut। स्वच्छता सर्वेक्षण शुरु होते ही नगर निगम को डस्टबिन की याद आ गई है। हालत यह है कि निगम की ओर शहर में लगाए गए डस्टबिन जर्जर या टूट-फूट चुके हैं। अब निगम की ओर से उनका बदला जा रहा है। हालांकि, आशंका जताई जा रही है कि पिछली साल की तरह इस साल भी निगम के डस्टबिन कहीं भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाएं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। गजेंद्र सिंह ने बताया कि शहर में अधिकतर स्थानों पर डस्टबिन खराब हो गए हैं। यह स्वच्छता सर्वेक्षण का भी हिस्सा है कि डस्टबिन सही हो और साफ हों।

गायब हो गए थे डस्टबिन

गौरतलब है कि दो साल पहले स्वच्छ भारत मिशन के तहत 62 लाख रुपए के 1500 प्लास्टिक डस्टबिन लगाए गए थे, लेकिन डस्टबिन की आड़ में घोटाला हुआ। गिनी चुनी जगहों पर घटिया क्वालिटी के डस्टबिन लगाकर काम पूरा कर दिया गया। सार्वजनिक स्थलों पर यह डस्टबिन लगाए गए थे जिनमें से या तो कुछ माह के भीतर ही तो तोड़ दिए गए या कूडे़ के कारण जल कर पिघल गए। वहीं घरों में डस्टबिन रखने की योजना भी लापरवाही की भेंट चढ़ गई।

स्टील के डस्टबिन भी बेकार

गत वर्ष नगर निगम ने शहर में करीब 34 लाख रुपये के स्टील के डस्टबिन लगवाए थे। अब शहर में इनके स्टैंड तो दिखते हैं लेकिन डस्टबिन गायब हो गए हैं।

अब फिर बदली डस्टबिन की सूरत

अब निगम ने एक बार फिर शहर में बड़े ग्रीन डस्टबिन रखना शुरु कर दिया है। इसके तहत 500 के करीब नए डस्टबिन निगम ने मंगवाए हैं जिनको शहर में प्रमुख मार्गो और सार्वजनिक स्थलों पर रखा जा रहा है।

घोटाले में लिप्त फर्म कर रही प्रचार

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में जनता को जागरुक करने का जिम्मा नगर निगम ने एक ऐसी फर्म दिया, जो पहले ही भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त है। इस फर्म द्वारा शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण से संबंधित वॉल पेटिंग और ओवर हेड पोटिंग कराई जा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि अब ठेकेदार ने अपनी फर्म का नाम बदल कर निगम के अधिकारियों से मिलीभगत कर ठेका ले लिया था। अब इस मामले के संज्ञान में आने के बाद महापौर ने मामले की जांच बैठा दी है।

तीन करोड़ का झूला घोटाला

दरअसल, गत वर्ष नगर निगम द्वारा पार्को में बच्चों के झूले लगाने के लिए करीब तीन करोड़ रुपए से ठेका दिया गया था। इसमें ठेकेदार को करीब 92 लाख 49 हजार रुपए का भुगतान किया जा चुका है और करीब 2 करोड़ का भुगतान बाकी है। लेकिन इस भुगतान से पहले ही झूलों का घोटाला खुलकर सामने आ गया। आरोप है कि जो झूले लगाए गए उनकी क्वालिटी इतनी घटिया था कि छह माह में ही झूले टूटना शुरु हो गए। ना ही झूले मानकों के अनुसार आईएसआई मार्क थे और ना ही निगम के रिकार्ड मे झूले की खरीद का कोई रिकार्ड दिखाया गया है। इस मामले में बिना पीडब्ल्यूडी से रेट लिए डायरेक्ट झूले खरीदे लिए गए। इस मामले में पार्षद यासीन पहलवान द्वारा मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक होने के बाद निगम के आला अधिकारियों में खलबली मच गई।

बिना विज्ञापन दिया गया ठेका

निगम में भ्रष्टाचार का यह आलम है कि आमतौर पर सभी ठेके विज्ञापन निकलवाने के बाद आए टेंडर पर दिए जाते हैं लेकिन यह ठेका डायरेक्ट दे दिया गया था। इसमें ठेकेदार अपनी मर्जी से दरों को निविदा में भरकर अपने पक्ष में टेंडर स्वीकृत करा लेते हैं। इस मामले में कमिश्नर और डीएम ने नगरायुक्त से जांच कर रिपोर्ट मांगी है लेकिन निगम ने ठेकेदार पर कार्यवाही या जांच रिपोर्ट देने के बजाए स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रचार के लिए वॉल पेंटिंग का ठेका भी ठेकेदार की दूसरी फर्म को दे दिया। ठेकेदार ने अलग अलग नाम से तीन फर्म का टेंडर डालकर खेल किया था जिसमे उसकी ही एक फर्म को अधिक दरों पर ठेका दे दिया गया।

महापौर ने बैठाई जांच

अब इस मामले में खुलासा होने के बाद मेयर सुनीता वर्मा ने ठेकेदार के खिलाफ जांच बैठाते हुए ठेकेदार के खिलाफ रोक लगाने और संबंधित अधिकारियों पर एक्शन की मांग नगरायुक्त से की है।

निगम में लगातार नियमों को ताक पर रखकर कुछ भ्रष्ट ठेकेदारों को ही ठेके दिए जा रहे हैं। इसमें निगम के राजस्व को नुकसान भी पहुंच रहा है और जनता को योजनाओं का लाभ भी नही मिल रहा है। जिस ठेकेदार पर पहले से ही भ्रष्टाचार का आरोप है उसे दूसरा ठेका किस आधार पर दिया गया यह जांच का विषय है।

सुनीता वर्मा, महापौर

इस मामले में हम लगातार जांच की मांग कर रहे हैं झूला घोटाले में निगम की अधिशासी अभियंता भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर जांच की मांग की जा चुकी है लेकिन नगरायुक्त जांच नही करा रहे हैं।

यासीन पहलवान, पार्षद

स्वच्छता कमेटी संभालेगी स्वच्छता की कमान

निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण में सफलता के लिए शहर के सभी वार्डो में समितियां बनाने की योजना बनाई थी लेकिन निगम खुद इन समितियों को अलर्ट करना ही भूल गया। अब वोटिंग में लगातार पिछड़ने के बाद निगम इन समितियों के माध्यम से अधिक से अधिक प्रचार कर वोट एकत्र करने में जुट गया है।

वार्ड कमेटी करेंगे प्रयास

इसके लिए निगम द्वारा बनाई गई पार्क व वार्ड कमेटियों की मदद ली जाएगी। इन कमेटियों में हर वार्ड के जागरुक नागरिकों को शामिल किया गया है जो अपने वार्ड में स्वच्छता के लिए प्रयास और निगम की मदद करेंगे। कमेटियां क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट, सड़कों, सामुदायिक केंद्रों में स्वच्छता, पार्क साफ सफाई आदि सुविधाओं को लेकर सुझाव देंगी और काम कराएंगी। इन कमेटियों के सदस्यों अब अपने क्षेत्र के लोगों को वोटिंग के लिए जागरुक करने का प्रयास करेंगे।

स्वच्छता सर्वेक्षण में सहयोग के लिए पार्क समिति और वार्डो में कमेटियां बनाई गई हैं। इनके सहयोग से भी शहर के लोगों को वोटिंग के लिए जागरुक करने का प्रयास किया जा रहा है। वोटिंग अधिक होगी तो रैकिंग अच्छी आएगी।

ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त