वर्दी वाले लुटेरे

देहरादून

आईजी की कार में सवार होकर प्रोपर्टी कारोबारी से नोटों से भरा बैग लूटने वाले पुलिसकर्मियों से एसटीएफ रिमांड में कुछ खास हासिल नहीं हो पाया. एसटीएफ दो दिन कैश से भरे बैग की तलाश के लिए आरोपियों को कई संभावित ठिकानों पर भी ले गई. साथ ही उनसे कॉल डिटेल व लोकेशन के बारे में पूछताछ भी की, लेकिन कोई ठोस जानकारी नहीं निकलवा पाई. शुक्रवार शाम दो दिन का रिमांड खत्म होने पर आरोपियों को वापस जेल में दाखिल करा दिया गया.

एसटीएफ ने डालनवाला थाने में दर्ज बहुचर्चित 'वर्दी वाले लुटेरे' कांड में दरोगा दिनेश नेगी, आईजी के ड्राईवर हिमांशु उपाध्याय,घुड़सवार पुलिस के जवान महेश अधिकारी और लूट के साजिशकत्र्ता अनुपम शर्मा को दो दिन के पुलिस रिमांड पर लिया था. एसटीएफ के एडिशनल एसपी सतेन्द्र सिंह ने बताया कि पुलिस रिमांड के दौरान सभी आरोपियों से पूछताछ की गई. लूटे गए बैग की रिकवरी के लिए प्रयास किए गए.लेकिन आरोपी कॉपरेट नहीं कर रहे. ऐसे में अभी बैग बरामद नहीं किया जा सका है. बैग बरामदगी के लिए अब आगे की इनवेस्टिगेशन अलग एंगल से की जाएगी.

कॉल डिटेल और लोकेशन पर फोकस:

कैश व अन्य साक्ष्यों की बरामदगी के लिए एसटीएफ ने 4 अप्रेल से लेकर आरोपियों के शिकंजे में आने तक की उनकी कॅाल डिटेल, मैसेजिंग डिटेल और लोकेशन की स्टडी में जुटी है. एसटीएफ कॉल डिटेल के आधार पर कैश और बैग का छिपाने या नष्ट करने के ठिकाने का सुराग जुटाने में लगी है. एसटीएफ को जानकारी यह भी मिली है कि दिनेश नेगी ने वारदात और गिरफ्तारी के बीच एक सैपरेट नंबर और मोबाइल यूज किया था. एसटीएफ उस सैपरेट नंबर की तलाश में जुटी है.चर्चा यह है कि दरोगा ने वारदात के बाद अपना फोन वाइफ को दे दिया था और एक दूसरे नंबर के जरिए करीबियों के संपर्क में था.

डीजीपी का पीआरओ रहा दरोगा,हल्के में ले गई पुलिस:

लूट का सरगना बताया जा रहा दरोगा दिनेश नेगी एक समय बीएस सिद्धू के डीजीपी कार्यकाल में उनका पब्लिक रिलेशन ऑफिसर रहा था. चर्चा है कि उस समय डीजीपी के तमाम काम वही देखता था. कई आईपीएस भी उसे सर कहते थे. ऐसे में आईजी की कार में सवार होकर प्रोपर्टी कारोबारी को लूट की वारदात के 10 दिन तक पुलिस सिर्फ जांच-पड़ताल करती रही थी. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि दरोगा दिनेश नेगी और अन्य ने साक्ष्यों को छिपा या नष्ट कर दिया होगा. कैश को भी ठिकाने लगा दिया होगा.

पुलिस अफसरों के कई राज दफन है दरोगा के सीने:

दरोगा दिनेश नेगी प्रदेश पुलिस में इंटेलीजेंस यूनिट में भर्ती हुआ था. इंटेलीजेंस वाले को जब तब डीएसपी का प्रमोशन न मिले तब तब वह सिविल पुलिस में नहीं जा सकता, लेकिन डीजी बीएस सिद्धू ने दिनेश नेगी को अपना पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बनाया. डीजी का पीआरओ रहते दिनेश ने अफसर से लेकर सिपाही तक सब पर अपना रौब झाड़ा. इसके बाद वह स्वीटी अग्रवाल के समय वह एसएसपी ऑफिस देहरादून में भी पीआरओ सेक्शन में रहा. दिनेश की यह तैनाती नियम विरूद्ध थी. अब आईजी रेंज की गाड़ी में बैठकर लूट की वारदात करने के बाद उसके रसूखों की परते उधड़ती शुरू हुई और बड़ा खेल सामने आया. चार माह पहले दिनेश नेगी का देहरादून से हरिद्वार ट्रांसफर हो गया. आईजीऑफिस से तिकड़म बिठाकर उसने चुनाव की आचार संहिता की आड़ में सैटिंग बिठाई और ट्रांसफर रूकवाकर देहरादून में ही टिका रहा. इसी बीच आईजी की सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल उसने लूट में कर डाला.