600

भर्तियां आएंगी जांच के दायरे में

5000

के करीब पीसीएस अफसर पदों पर हुई है नियुक्ति इस दौरान

6599

कृषि तकनीकी सहायक पदों पर हुई नियुक्ति

4600

के करीब लोअर सब आर्डिनेट पदों पर नियुक्ति

2000

के करीब स्क्रीनिंग और इंटरव्यू के जरिए हुई नियुक्तियां

44

बार लाठी चार्ज हुआ छात्रों पर आयोग का विरोध करने पर पांच साल में

26

बार छात्रों की सामूहिक गिरफ्तारी हुई

03

बार आंदोलन करने वाले छात्रों पर की गई फायरिंग

5000

का इनाम भी घोषित हुआ था कई प्रतियोगी छात्रों पर

2012 के बाद से अब तक लगातार विवादों से घिरा रहा है यूपीपीएससी

हर भर्ती पर उठे सवाल, पहली बार ह्वाट्सएप पर लीक हुआ पीसीएस का पेपर

ALLAHABAD (19 July): उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से 2012 से अब तक जारी सभी परीक्षाओं के परिणामों की सीबीआई जांच कराने के फैसले से गड़े मुर्दे भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा खोलेंगे। सरकार ने इस दौरान आयोग से हुई सभी भर्तियों की जांच कराई तो करीब छह सौ भर्तियां इसके दायरे में आएंगी और करीब 17 हजार नौकरी पाने वाले अभ्यर्थी। इस दौरान आयोग के अध्यक्ष रहे अनिल यादव, सुनील जैन और अनिरुद्ध यादव तक जांच के दायरे में आ जाएंगे। सीबीआई जांच की मांग को लेकर लम्बे समय से प्रदर्शन कर रहे इलाहाबाद के प्रतियोगी छात्रों ने सरकार का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया है।

2008-09 तक जाएगी जांच की आंच

सरकार ने सभी भर्तियों की जांच कराने का फैसला लिया तो आंच 2008-09 के लोअर सबआर्डिनेट के परिणाम तक जाएगी। इनके परिणाम में 2012 में अनिरुद्ध यादव के कार्यभार संभालने के बाद जारी किए गए थे। प्रतियोगी छात्र मानकर चल रहे हैं कि सरकार 2012 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से जारी हुए सभी परिणामों की जांच कराएगी। परिणामों को जांच का आधार माना गया तो इस दौरान आयोग के थ्रू नौकरी पाने वालों का आंकड़ा 20 हजार को पार कर जाएगा।

क्यों निरस्त हुई कृषि सहायक भर्ती

इस भर्ती प्रक्रिया में कुल 6628 पदों पर नियुक्ति की गई

लिखित परीक्षा का परिणाम आने के बाद एवं साक्षात्कार से मात्र कुछ दिन पूर्व ही विज्ञापन में बड़ा संशोधन किया गया

22 अक्टूबर 2013 को जारी विज्ञापन के अनुसार इसमें सामान्य वर्ग के 3616, ओबीसी के 566, एससी के 2211 एवं एसटी वर्ग के 235 पद निर्धारित थे

इस विज्ञापन के आधार पर लिखित परीक्षा का परिणाम भी जारी हुआ

साक्षात्कार के कुछ दिन पहले सामान्य वर्ग के 3616 पद को घटाकर 2515 एवं ओबीसी के 566 पदों को बढ़ाकर 2030 कर दिया गया

एससी के 2211 पद को भी घटाकर 1882 कर दिया गया

फाइनल रिजल्ट में कुल चयनित 6599 अभ्यर्थियों में सामान्य वर्ग के मात्र 806 अभ्यर्थी थे

रिजर्व कैटेगरी से 5793 अभ्यर्थी चयनित किये गये

UPPCS

2011 में आयोग ने त्रिस्तरीय आरक्षण प्रक्रिया लागू की

इसका जमकर विरोध हुआ। कोर्ट के आदेश पर प्री का रिजल्ट बदलना पड़ा

इस भर्ती में एक जाति विशेष के अभ्यर्थियों का बड़ी संख्या में एसडीएम पद पर सेलेक्शन भी विवादों में रहा

2012-13 और 14 में गलत सवालों को लेकर विवाद खड़ा हुआ

2015 में प्री का पेपर ह्वाट्सएप पर लीक हो गया तो परीक्षा फिर से करानी पड़ी

2016 में भी सवालों के गलत जवाब को लेकर आयोग घिरा

PCS (J) 2013

पीसीएस जे 2013 में आयोग को 11 प्रश्नों के उत्तर बदलने पड़े।

समीक्षा अधिकारी एवं सहायक समीक्षा अधिकारी 2013 परीक्षा में न्यायालय ने आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष को तलब किया था

जिसके बाद आयोग ने आंसर की जारी किए जाने के अपने प्रस्ताव को ही छिपा लिया था

प्रतियोगी छात्रों के हाथ आंसर की जारी करने का प्रस्ताव लग गया तो पीसीएस 2015 में न्यायालय के माध्यम से उत्तर कुंजी जारी करवाई गई

इसमें पता चला कि आयोग ने नौ प्रश्नों का गलत उत्तर दिया था

छात्रों ने गलत उत्तर के मामले में पीसीएस 2015 को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी थी

इसके बाद 15 सवालों के जवाब बदले गए थे

प्री का रिजल्ट संशोधित करना पड़ गया था

कंबाइंड लोअर सबआर्डिनेट 2015

कंबाइंड लोअर सबआर्डिनेट 2015 प्री परीक्षा परिणाम को रद करने के लिए भी कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी

छात्रों का कहना था कि लोअर 2015 की संशोधित उत्तर कुंजी में पांच सवाल डिलीट किए गए

चार सवालों के दो उत्तर सही माने गए थे

इनमें से आठ प्रश्नों के उत्तरों का स्पष्ट प्रमाण प्रमाणिक पुस्तकों में है

इसके बाद परिणाम बदला गया

हाईकोर्ट के आदेश पर बदला रिजल्ट

पीसीएस 2011

पीसीएस जे 2013

पीसीएस जे 2015

कोर्ट के आदेश पर हटाए गए अध्यक्ष व सचिव

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे होने के बाद भी लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अध्यक्ष अनिल यादव को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आपराधिक मामले होने के चलते ही हटाया था। सचिव रिजवानुर्रहमान को भी कोर्ट के आदेश पर ही हटाया गया था। प्रतियोगी छात्र लगातार भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते रहे लेकिन भ्रष्टाचार के आधार पर एक भी कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।

सुहासिनी का मामला उठाया था मोदी ने

विधानसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी की रैली में पीसीएस की प्रतियोगी सुहासिनी बाजपेयी के साथ हुए अन्याय का मामला उठाया था। प्रतियोगी छात्रों को तभी से भरोसा था कि सरकार आयोग के भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए सीबीआई जांच का आदेश जरूर करेगी।