-बीते एक साल से एक भी योजना का नहीं हो सका कार्यान्वयन

-अध्यक्ष ने घोटाले की जांच को लिखा तो दो महीने तक चली हड़ताल

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW : पांच दिन पहले ही बाल दिवस देशभर में धूमधाम से मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक ने देश के भविष्य माने जाने वाले बच्चों के कल्याण को लेकर अपनी प्राथमिक्ताएं गिनाई। पर, महिलाओं व बच्चों के कल्याण के लिये काम करने वाले केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की रफ्तार ही बीते एक साल से थमी हुई है। रफ्तार पर ब्रेक की कहानी भी बेहद दिलचस्प है, यह ब्रेक किसी तकनीकी वजह से नहीं बल्कि, एक साल पहले नियुक्त की गई अध्यक्ष द्वारा संस्था की एक योजना में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग करने के चलते लगी है। आलम यह है कि बीते एक साल में कभी सीसीटीवी कैमरे लगाने के विरोध में कर्मचारी दो महीने तक हड़ताल कर कार्यालय में तालाबंदी कर देते हैं तो कभी कर्मचारियों द्वारा असहयोग के चलते बोर्ड का कामकाज प्रभावित होता है। नतीजतन, पिछले एक साल के दौरानं सरकार द्वारा बच्चों व महिलाओं के लिये बनाई गई किसी भी योजना पर रत्ती भर भी काम नहीं हो सका।

लग चुका है घोटाले का दाग

उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड के अधीन स्वायत्तशासी संगठन के रूप में कार्यरत है। इस संस्थान का काम स्वैच्छिक संस्थाओं के साथ मिलकर महिलाओं व बच्चों के कल्याण के लिये काम करना है। पर, इस संस्था को भी भ्रष्टाचार का दीमक लग गया। भवन निर्माण में जुटी महिला कर्मकारों के छह साल से कम उम्र के बच्चों की देखभाल के लिये बोर्ड ने सचल पालना गृह योजना बनाई गई। केंद्र और राज्य सरकार से 50 करोड़ रुपये का फंड रिलीज होने के बाद 280 एनजीओ के जरिए इस योजना पर काम शुरू हुआ। पर, यह योजना घोटाले की भेंट चढ़ गई। तत्कालीन श्रम मंत्री शाहिद मंजूर ने जब इसकी जांच कराई तो धांधली साफ नजर आई। वहीं, जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी प्रमुख सचिव महिला कल्याण से मामले की जांच कराई। उन्होंने जांच में पाया कि योजना का लाभ लाभार्थियों तक नहीं पहुंच सका। नतीजतन, गरीब महिलाओं व बच्चों की देखभाल के लिये बनी योजना ने परवान चढ़ने से पहले ही दम तोड़ दिया। बोर्ड की अध्यक्ष डॉ। रूपल अग्रवाल की मानें तो इस योजना में करोड़ों रुपये की लूट को खुलेआम अंजाम दिया गया। करोड़ों रुपये की इस बंदरबाट ने बोर्ड की साख पर बट्टा लगा दिया।

जांच को लिखा तो बना ली यूनियन

बोर्ड की अध्यक्ष डॉ। रूपल अग्रवाल ने बताया कि पदभार संभालने के बाद जब उन्हें सचल पालना गृह योजना में घोटाले की भनक लगी तो उन्होंने बीते साल दिसंबर महीने में प्रधानमंत्री कार्यालय व विभाग की मंत्री मेनका गांधी को सचल पालना गृह योजना में हुए करोड़ों रुपये के कथित घोटाले की जांच के लिये पत्र लिखा। इस पत्र के लिखते ही कर्मचारियों ने यूनियन बना ली और समय-समय पर किसी न किसी बहाने से विरोध करना शुरू कर दिया। कार्यालय में पनप रहे भ्रष्टाचार को देखते हुए बोर्ड अध्यक्ष ने कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे व बायोमेट्रिक मशीन लगवा दी। पर, कर्मचारियों ने कार्यालय में सीसीटीवी कैमरों से वहां काम करने वाली महिला कर्मचारियों की निजता भंग होने का आरोप लगाते हुए बीती 22 अगस्त को इसके विरोध में कार्यालय में तालाबंदी शुरू कर दी। गौरतलब है कि, कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर कर्मचारियों द्वारा पूर्व में दर्ज की गई आपत्ति को देखते हुए अध्यक्ष डॉ। रूपल अग्रवाल ने यूपी पुलिस की महिला सम्मान प्रकोष्ठ से राय मांगी। जांच के उपरांत प्रकोष्ठ ने कर्मचारियों द्वारा महिला कर्मचारियों की निजता भंग करने के आरोप को गलत मानते हुए जो रिपोर्ट सौंपी उसमें कार्यस्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाने को वाजिब माना था। पर, रिपोर्ट आने के बाद भी कर्मचारी संतुष्ट न हुए और दो महीने तक कार्यालय में हड़ताल व तालाबंदी जारी रखी।

भ्रष्टाचार के जांच की मांग करने से इसमें लिप्त कुछ कर्मचारियों ने बोर्ड के अन्य कर्मचारियों को बरगला लिया। जिस वजह से बोर्ड का काम प्रभावित हो रहा है। चार्ज संभालने के बाद से एक भी योजना पर काम नहीं हो सका।

डॉ। रूपल अग्रवाल

अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश राज्य समाज कल्याण बोर्ड