नई दिल्ली (पीटीआई)। डिस्ट्रिक्ट जज धर्मेश शर्मा ने दोपहर से पहले सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने इस मामले में सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका है। यह जुर्माना एक महीने में भरना है। अदालत ने सोमवार को सेंगर को नाबालिग के साथ दुष्कर्म के जुर्म में भारतीय दंड संहिता और पाॅक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिया था। सजा में नरमी बरतने की अपील ठुकराते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सेंगर जनसेवक था और उसने जनता के साथ विश्वासघात किया है। सेंगर ने दुष्कर्म पीड़िता को लगातार धमकी दी।

सीबीआई देखे पीड़ित परिवार की सुरक्षा

कोर्ट ने पीड़िता की मां को बतौर हर्जाना 10 लाख रुपये अतिरिक्त देने का आदेश दिया है। साथ ही काेर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह प्रत्येक तीन महीने पीड़ित और उसके परिवार की सुरक्षा तथा उनके जान के खतरों का आंकलन करे। आदेश में कहा गया है कि दिल्ली महिला आयोग पीड़िता को किराए पर रहने के लिए स्थान मुहैया कराए। घर के किराए का भुगतान के लिए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रति माह 15 हजार रुपये एक साल तक देने का आदेश दिया है।

दोषी ठहराए जाते ही रोने लगा था सेंगर

उन्नाव दुष्कर्म मामले में सोमवार को दिल्ली की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर कोर्टरूम में रोने लगा। वह अपनी बहन के पास रोता हुआ देखा गया। अदालत ने मुख्य आरोपी सेंगर को भारतीय दंड संहिता और पोक्सो अधिनियम के तहत दोषी करार दिया है। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने हालांकि सभी आरोपों के सह-अभियुक्त शशि सिंह को इस मामले से बरी कर दिया। अदालत बुधवार को सजा को लेकर पर बहस करेगी। बता दें कि पोक्सो के तहत अपराधों में आजीवन कारावास की अधिकतम सजा होती है।

9 अगस्त को तय किए गए थे आरोप

बता दें कि महिला को कथित रूप से 2017 में सेंगर द्वारा अपहरण और दुष्कर्म किया गया था, तब वह नाबालिग थी। यूपी के बांगरमऊ से चार बार के भाजपा विधायक सेंगर को अगस्त 2019 में भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। अदालत ने 9 अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए एक महिला का अपहरण या उत्पीड़न), 376 (दुष्कर्म और अन्य संबंधित धाराओं), यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत आरोप तय किए थे।

सीबीआई ने मांगी थी अधिकतम सजा

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को उन्नाव दुष्कर्म मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार देने की सजा की संख्या पर सुनवाई 20 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है और चुनाव आयोग के समक्ष 2017 में उनके द्वारा दायर हलफनामे की प्रति मांगी है। इससे पहले आज, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सेंगर के लिए अधिकतम सजा की मांग की थी। इसके अलावा एजेंसी ने दुष्कर्म पीड़िता के लिए पर्याप्त मुआवजे की भी मांग की। सेंगर के वकीलों ने हालांकि अदालत से न्यूनतम सजा की मांग की है। वकील ने अपनी दलीलों में कहा कि वह दशकों से सार्वजनिक जीवन में थे, समाज की सेवा की और लोगों के उत्थान के लिए बहुत सारे कल्याणकारी कार्य किए।

तिहाड़ जेल में बंद है सेंगर

अदालत में वकील ने कहा, 'हिरासत के दौरान उनका आचरण अच्छा था। उनकी दो नाबालिग बेटियां हैं, अपराध का पूर्व इतिहास नहीं है। कृपया इन तथ्यों पर भी विचार करें।' बता दें कि निष्कासित भाजपा विधायक सेंगर को दिल्ली की एक अदालत ने दो साल पहले उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने के मामले में दोषी पाया है। इसके अलावा अदालत सह-अभियुक्त शशि सिंह को इस मामले से बरी कर दिया है। उत्तर प्रदेश के बांगरमऊ से भाजपा के चार बार के विधायक सेंगर ने जून 2017 में उन्नाव में अपने आवास पर लड़की के साथ दुष्कर्म किया था, जहां वह नौकरी की तलाश में गई थी। उसे पिछले साल गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद है।

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