नई दिल्ली (पीटीआई)। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश भर के 2 लाख से अधिक अभिभावकों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें कहा गया है कि जब तक कोरोना वायरस की स्थिति में सुधार नहीं होता या टीका तैयार नहीं होता तब तक स्कूलों को फिर से नहीं खोला जाना चाहिए। याचिका सरकार की इस घोषणा के बाद आई है कि स्कूलों, कॉलेजों, कोचिंग सेंटरों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को जुलाई में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कोरोना वायरस स्थिति पर चर्चा करने के बाद फिर से खोल दिया जाएगा।

एकेडमिक सेशन ई-लर्निंग मोड में जारी रहना चाहिए

जुलाई में स्कूल खोलना सरकार का सबसे खराब फैसला होगा। यह आग से खेलने जैसा है जब हमें पूरी ताकत के साथ इसमें उतरना चाहिए। वर्तमान में एकेडमिक सेशन ई-लर्निंग मोड में जारी रहना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि अगर स्कूलों का दावा है कि वे वर्चुअल लर्निंग के माध्यम से अच्छा काम कर रहे हैं, तो इसे बाकी एकेडमिक इयर में जारी क्यों नहीं रखा जाए। इस याचिका पर 2.13 लाख से अधिक अभिभावकों ने हस्ताक्षर किए हैं। देश भर के विश्वविद्यालयों और स्कूलों को 16 मार्च से बंद कर दिया गया था। इसके बाद जब केंद्र सरकार ने कोविड-19 के प्रकोप को रोकने के उपायों में देशव्यापी लाॅकडाउन का ऐलान किया था तो 25 मार्च से सब पूरी तरह से बंद हैं।

लॉकडॉउन 30 जून तक कंटेंट ज़ोन में जारी रहेगा

हालांकि अब सरकार ने बैन को फेज वाइज ढील देने की घोषणा की है, जबकि लॉकडॉन 30 जून तक कंटेंट ज़ोन में जारी रहेगा। स्कूल, कॉलेज, शैक्षिक, प्रशिक्षण, कोचिंग संस्थान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (केंद्र शासित प्रदेशों) के परामर्श के बाद खोले जाएंगे। गृह मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान में कहा प्रतिक्रिया के आधार पर इन संस्थानों को फिर से खोलने का निर्णय जुलाई, 2020 के महीने में लिया जाएगा। हालांकि इस घोषणा में उन अभिभावकों के लिए खतरे की घंटी है, जो मानते हैं कि यह कदम बहुत असुरक्षित होगा।

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