कबाड़ में पड़ा है महंगा सामान, चोरी करके ले जा रहे हैं बाहरी लोग

Meerut. सीसीएसयू में पड़ा करोड़ो का कबाड़ यहां तक की वाहन, घड़ी, कुर्सी-मेज आदि खाक हो रहा है. हालात तो यह है कि बाहरी लोग इन्हें चुराकर ले जा रहे हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी को इसकी जरा भी परवाह नही है. जबकि नियम ये है कि अगर कोई सामान यूज नहीं हो रहा है, उसके बदले में नया सामान लाया जाए या फिर उसकी निलामी कर पैसा उपयोग किया जाए. इस तरफ कोई भी ध्यान नही दे रहा है. बस नई खरीदारी पर ही ध्यान दिया जा रहा है, ऐसे में यूनिवर्सिटी का करोड़ों का बजट पानी में जा रहा है.

खराब हो रहा सामान

यूनिवर्सिटी में अगर किसी विभाग का कोई समान खराब हो जाए तो यूनिवर्सिटी प्रशासन उस समान के बदल देता है, उसकी जगह नए समान की व्यवस्था की जाती है. मगर पुराने समान की बिक्री नहीं की जा रही है. इसलिए फर्नीचर सहित अन्य सामान बेकार होता जा रहा है. बता दें कि यूनिवर्सिटी में पूर्व में इंजीनियरिंग कॉलेज में चलने वाली बस पूर्व में छात्रों के लिए मंगाई गई थी. तीन बसों व यहां फर्नीचर को लेकर 28 लाख का बजट लगा था. मगर वह खराब हो गई, उसकी जगह नई बस ली गई, मगर पुरानी बस की बिक्री नहीं की गई. इसी प्रकार यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के लिए भी नई -नई गाडि़यों की व्यवस्था कर दी गई है. जिन पर 37 लाख का बजट लगा. इसमें प्रॉक्टर बोर्ड के नई बुलेरों सहित अन्य अधिकारियों के लिए भी नई गाडि़यां मंगाई जा रही है. वहीं पुरानी चालू गाडि़यों को खड़ा कर दिया गया है. ऐसे में अगर उनकी भी निलामी नहीं की जाएगी तो यह भी खराब हो जाएगी.

चोरी हो रहा सामान

सूत्रों की मानें तो यूनिवर्सिटी परिसर में पड़े कबाड़ को डिग्गी की तरफ से कुछ लोग उठा ले जाते हैं. यूनिवर्सिटी में जितना कबाड़ एकत्रित है. अगर उसको समय से ही नीलाम कर दिया जाए तो पैसे का सदुपयोग किया जा सकता है. यूनिवर्सिटी के हॉस्टल, प्रशासनिक भवन व शैक्षिक विभागों मे वर्ष के विभिन्न ऐसे सामान अलमारी, सेफ, कुर्सी, मेज, इलेक्ट्रानिक आइटम, सहित अनेक तरह के सामान खराब श्रेणी में बाहर होते हैं, यूनिवर्सिटी के विभागों से निकाले कबाड़ को न्यू ग‌र्ल्स हॉस्टल के ठीक सामने बनी टंकी परिसर में एकत्रित करता रहता है. लेकिन यह परिसर कबाड़ के ढेर से पहाड़ की तरह हो गया है. इसमें लोहे के इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी है, महंगे चुराकर ले जाते हरे है.छोटूराम कॉलेज से रिजेक्ट हुई बस, अधिकारियों की पुरानी एंबेस्डर, पुरानी एम्बुलेंस व एक स्कॉरपियों भी कबाड़ में है.

पहले मांगा था रिकॉर्ड

जानकारी में डाल दें कि अभी कुछ महीनों पहले ही वीसी ने रिकॉर्ड चेक किया था. जिसमें सामने आया था कि ऐसी तीन बसें, चार गाडि़यां हैं जो ठीक हालात में है, जिनपर कुछ खर्च से सही किया जा सकता है. लेकिन इसके बाद से इस मामले पर सभी चुप्पी साधे हुए है, न तो कोई सोच रहा है न ही कर रहा है.

ये चिंता का विषय है. इसके लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है. जल्द ही इस पर फैसला होगा और कबाड़ की निलामी की जाएगी.

प्रो. एनके तनेजा, वीसी, सीसीएसयू